गालिब बहुत पहले कहकर चले गए, ‘न था तो खुदा था। न होता तो खुदा होता। डुबोया मुझको होने ने। न मैं होता तो क्या होता। हुई मुद्दत कि गालिब मर गया। पर याद आता है। वो हर इक बात पर कहना। कि यूं होता तो क्या होता।’
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