नई दिल्ली: कैग ने एक्सपोर्ट प्रमोशन कैपिटल गुड्स (EPCG) स्कीम की कमजोरियों को उजागर किया है। अपनी रिपोर्ट में उसने कहा है कि (DGFT) की ऑनलाइन प्रणाली दस्तावेजों की सत्यता की जांच नहीं करती। घरेलू पूंजीगत वस्तुओं की खरीद में भी अनियमितताएं देखी गईं। (कैग) ने की कमियों पर रिपोर्ट दी है। कैग ने बताया कि डिनाइड एंटिटी लिस्ट (DEL) मैकेनिज्म बेअसर साबित हो रहा है। यह तंत्र निर्यातकों को ईपीसीजी स्कीम की शर्तों का पालन करवाने के लिए बनाया गया था। कैग ने कहा कि विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की ऑनलाइन प्रणाली जमा किए गए दस्तावेजों की सत्यता की जांच नहीं करती। इसलिए ऑथराइजेशन की समीक्षा जरूरी है। ईपीसीजी स्कीम के तहत शून्य सीमा शुल्क पर पूंजीगत वस्तुओं का आयात किया जा सकता है। इसका उद्देश्य अच्छी गुणवत्ता के सामान और सेवाओं का उत्पादन करना है। इससे हमारी मैन्यूफैक्चरिंग प्रतिस्पर्धा बढ़ती है।
कैग ने पाईं किस तरह की खामियां?
कैग ने अपनी ऑडिट रिपोर्ट में कहा कि डीजीएफटी के पास एक डेटा-आधारित निगरानी तंत्र होना चाहिए। यह तंत्र विदेश व्यापार नीति के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करेगा। कैग ने कहा, 'पहले के दायित्वों की पूर्ति सुनिश्चित किए बिना बाद के ऑथराइजेशन जारी करना जोखिम भरा कदम है।' यहां पहले के ऑथराइजेशन दायित्वों की पूर्ति का मतलब है कि पिछली बार दी गई अनुमति की शर्तों को पूरा किया गया है या नहीं।कैग के अनुसार, पूंजीगत वस्तुओं की घरेलू खरीद के मामले में तय प्रक्रियाओं का पालन न करने से दोहरा लाभ उठाने का जोखिम है। कंपनियां एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर (IGST) से छूट का लाभ उठा सकती हैं। साथ ही शुल्क मुक्त वस्तुओं का आयात भी कर सकती हैं। ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, FTP में निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना पंजीकृत बंदरगाह के अलावा अन्य बंदरगाहों से पूंजीगत वस्तुओं का आयात करने से कई जोखिम हैं। एक ही ऑथराइजेशन का इस्तेमाल करके कई बंदरगाहों से सामान आयात किया जा सकता है। इससे रेवेन्यू प्रभावित होता है। बॉन्ड के दुरुपयोग का भी खतरा रहता है।कैग ने कहा, 'ऑडिट में पाया गया कि डीजीएफटी की ओर से निर्यात आय की समय पर प्राप्ति की निगरानी नहीं की गई। डीजीएफटी को निर्यात आय में देरी, कमी या गैर-प्राप्ति की प्रभावी ढंग से निगरानी करनी चाहिए।'दस्तावेजों की सत्यता की जांच नहीं
ईपीसीजी स्कीम का लाभ उठाने के लिए निर्यातकों को कुछ शर्तों का पालन करना होता है। लेकिन, कैग ने पाया कि डीईएल तंत्र इन शर्तों को लागू करने में प्रभावी नहीं है। डीईएल में उन कंपनियों की सूची होती है जिन्होंने ईपीसीजी स्कीम की शर्तों का उल्लंघन किया है। डीजीएफटी को इन कंपनियों को नए ईपीसीजी ऑथराइजेशन जारी नहीं करने चाहिए। लेकिन, कैग ने पाया कि डीजीएफटी डीईएल की जांच नहीं कर रहा है। इससे उन कंपनियों को भी ईपीसीजी ऑथराइजेशन मिल रहे हैं जिन्होंने पहले शर्तों का उल्लंघन किया है।कैग ने यह भी पाया कि डीजीएफटी ऑनलाइन सिस्टम से जमा किए गए दस्तावेजों की सत्यता की जांच नहीं करता है। इससे फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ईपीसीजी ऑथराइजेशन जारी होने का खतरा है। कैग ने सिफारिश की है कि डीजीएफटी को अपनी निगरानी प्रणाली को मजबूत करना चाहिए। उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ईपीसीजी स्कीम का लाभ केवल योग्य कंपनियों को ही मिले।from https://ift.tt/GcldkAm
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