पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने एक बार फिर ऊल जुलूल बयान दिया है. उन्होंने पहलगाम नरसंहार को विभाजन के अधूरे सवालों की एक दर्दनाक गूंज बताया. अय्यर ने कहा कि 1947 में भारत का बंटवारा मूल्यों और राष्ट्रवाद की अलग-अलग व्याख्याओं के कारण हुआ था और आज भी हम उसी के नतीजों को भुगत रहे हैं. अय्यर ने कहा कि क्या पहलगाम की त्रासदी उसी बंटवारे के अधूरे सवालों की छाया नहीं है? जब पूरा देश आतंक के खिलाफ एकजुटता दिखा रहा है, तब बंटवारे की बातें करना क्या जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा नहीं है?
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