Wednesday, July 17, 2024

ओलिंपिक की मेजबानी सम्मान से ज्यादा बर्बादी का सबब? इंग्लैंड से चीन तक की कमर टूटी

नई दिल्ली: ओलिंपिक दुनिया का सबसे बड़ा स्पोर्टिंग इवेंट है। खेलों के आयोजन के दौरान दुनिया में सब कुछ थम जाता है। चर्चा सिर्फ एक विषय पर होती है, ओलिंपिक। कुछ अपवाद को छोड़ दें तो 1896 में शुरू हुए ओलिंपिक खेलों का आयोजन हर चार साल पर होता है। हर ओलिंपिक की मेजबानी के लिए कई शहर दावेदारी करते हैं। अंत में किसी एक को जीत हासिल होती है। वह गेम्स के लिए एक बजट सेट करता है। बजट के अलावा मेजबानी मिलने के बाद से ही वह शहर अरबों रुपए खर्च करना शुरू करता है। टूरिज्म, इंफ्रास्ट्रक्चर, टेक्नोलॉजी आदि पर। इस उम्मीद में कि इससे देश और शहर की इकोनॉमी तेजी से आगे बढ़ेगी। लेकिन क्या हर बार होस्ट देश और शहर की इकॉनोमी में बंपर उछाल आता है? जवाब है- नहीं।

दशकों तक आर्थिक तंजी के जूझते रहे देश

1976 ओलिंपिक की मेजबानी थी, कनाडा के मॉन्ट्रियल शहर के पास। मेजबानी के बाद उनपर 1.5 बिलियन डॉलर का कर्ज हो गया था। 40 साल बाद 2006 में वह इससे उबर पाए थे। 2004 एथेंस ओलिंपिक ने ग्रीस को 14.5 बिलियन डॉलर के कर्ज में डाल दिया था। अमेरिका में 9/11 के हमले की वजह से गेम्स के दौरान सुरक्षा पर काफी ज्यादा खर्च करना पड़ गया था। देश पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। बीजिंग ने 2008 ओलिंपिक पर 40 बिलियन डॉलर से ज्यादा खर्च किए और कमाई हुई 3.6 बिलियन डॉलर। यानी 35 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा का घाटा। लंदन ने 18 बिलियन डॉलर खर्च करने के बाद 5 बिलियन डॉलर (13 बिलियन का घाटा) की कमाई की। रियो ओलिंपिक का अनुमानित बजट करीब 65 हजार करोड़ रुपए था और खर्च हुए करीब 98 हजार करोड़ रुपए। उन्हें करीब 14 हजार करोड़ का नुकसान हुआ।

ओलिंपिक आयोजन से क्यों होता है नुकसान?

ओलिंपिक के लिए शहर में बड़े स्टेडियम, होटल, रेस्टोरेंट बनाए जाते हैं। लेकिन इसका फायदा होस्ट को नहीं होता, क्योंकि बनाने वाली ज्यादातर कंपनियां इंटरनेशनल होती हैं। ओलिंपिक की मेजबानी करने वाले शहरों के लिए रोजगार उतने नहीं बढ़ते, जितने अनुमान लगाए जाते हैं। उदाहरण के लिए, 2002 साल्ट लेक सिटी विंटर ओलिंपिक के दौरान सिर्फ 7,000 नौकरियां बढ़ीं। ओलिंपिक से लोकल बिजनेस को भी उम्मीद से कम फायदा होता है क्योंकि बड़ी कंपनियां पहले से स्पॉन्सरशिप खरीद लेती हैं। इसके बाद खेलों के लिए बने स्टेडियम के रखरखाव पर हर साल करोड़ों खर्च होते हैं। 2000 ओलिंपिक का आयोजन सिडनी में हुआ था। सिडनी स्टेडियम पर हर साल 200 करोड़ से ज्यादा का खर्च है। बीजिंग के बर्ड्स नेस्ट एरिना के रखरखाव पर प्रतिवर्ष 83 करोड़ का खर्च आता है।

सिर्फ 1984 में मेजबान को हुआ था फायदा

1984 ओलिंपिक की मेजबानी अमेरिका के लॉस एंजेलिस शहर के पास थी। उसे आयोजन के पास करीब 250 मिलियन डॉलर का फायदा हुआ। इसकी सबसे बड़ी वजह थी कि उन्हें एंफ्रास्ट्रचर पर ज्यादा खर्च नहीं करना पड़ा। क्योंकि, एलए पहले से विकसित शहर था, वहां स्पोर्ट्स का कल्चर रहा है। उन्होंने सिर्फ दो नए स्टेडियम तैयार किए। बाकी एवेंट पहले से बने स्टेडियम में हुए। सोवियत यूनियन के बहिष्कार की वजह से एथलीट और इंटरनेशनल गेस्ट की संख्या कम थी। जिसकी वजह से कम खर्च पर ओलिंपिक का सफल आयोजन हुआ।इसके अलावा, अधिकांश रेवेन्यू मेजबान को नहीं जाता है। आईओसी टेलीविजन राइट्स के मिलने वाले रेवेन्यू का आधे से अधिक हिस्सा अपने पास रख लेता है। यह गेम्स की कमाई का सबसे बड़ा जरिया होता है।

जापान को दर्शन नहीं आने से 4800 करोड़ का नुकसान

आखिरी ओलिंपिक जापान के तोक्यो में आयोजित हुआ था। कोरोना की वजह से किसी भी दर्शक को एंट्री नहीं मिली थी। सभी इवेंट खाली स्टेडियम में कराए गए थे। सिर्फ इसी से करीब 4800 करोड़ का नुकसान हुआ था। टिकट से मिलने वाला पैसा होस्ट देश की कमाई का सबसे बड़े स्त्रोत में शामिल होता है। टोक्यो ओलिंपिक पहले 2020 में होना था लेकिन इसे कोरोना की वजह से एक साल बाद यानी 2021 में आयोजित किया गया था।

मेजबानी के तीन दावेदारों ने हाथ खींचे

2024 और 2028 ओलिंपिक के लिए 5 शहरों ने दावेदारी पेश की थी। जिसमें पेरिस, लॉस एंजिलिस, बुडापेस्ट, हैम्सबर्ग और रोम शामिल थे। लेकिन जनमत संग्रह और आर्थिक नुकसान की संभावना की वजह से बुडापेस्ट, हैम्सबर्ग और रोम ने नाम वापस ले लिए। जिसके बाद पेरिस को 2024 और लॉस एंजिलिस को 2028 ओलिंपिक की मेजबानी मिल गई। भारत ने भी 2032 ओलिंपिक के लिए दावेदारी पेश करने वाला है। इस ओलिंपिक के अहमदाबाद में होने की बात हो रही है।

पेरिस ओलिंपिक की क्या है स्थिति?

जनवरी 2024 में ब्लूमबर्ग को दिए इंटरव्यू में पेरिस ओलिंपिक के आयोजन समिति के सीईओ ने संकेत दिया कि पेरिस अपने लागत लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सही रास्ते पर है। 95% बुनियादी ढांचे या तो मौजूदा या अस्थायी बनाया गया है। इसकी वजह से निर्माण और रखरखाव की लागत कम रखी जा सके। 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए मूल बजट 8 बिलियन यूरो यानी करीब 73 हजार 145 करोड़ रुपये है।


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