नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने नये मतदाताओं के पंजीकरण और पुराने लोगों के विवरण को अद्यतन करने के लिए ‘आधार’ संख्या की मांग करने वाले फॉर्म में एक विशेष बदलाव नहीं करने को लेकर निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।पिछले साल सितंबर में, आयोग ने शीर्ष अदालत से कहा था कि वह मतदाता सूची में नये मतदाताओं को जोड़ने और पुराने लोगों के रिकॉर्ड को अद्यतन करने के लिए ‘आधार’ संख्या प्रदान करने को ध्यान में रखते हुए अपने फॉर्म में बदलाव करेगा। उसने न्यायालय से कहा था कि इसके साथ ही वह इसे ध्यान में रखेगा कि मतदाता पहचान पत्र (वोटर आईडी) के लिए आधार संख्या मुहैया करना वैकल्पिक है। निर्वाचन आयोग एक ही मतदाता की कई बार हुई प्रविष्टियों को खत्म करने के लिए आधार को मतदाता सूची से जोड़ने पर एक नया नियम लेकर आया था।सितंबर से आवश्यक कदम नहीं उठाने को लेकर, शुक्रवार को प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा तथा न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ से आयोग के तीन अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने का आग्रह किया गया। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अदालत ने (निर्वाचन आयोग के लिए) समय सीमा तय नहीं की थी... इसके अलावा, उन्हें (आयोग के अधिकारियों को) चुनाव से पहले बहुत काम करना होगा। पीठ ने कहा कि अवमानना हमेशा अदालत और कथित अवमाननाकर्ताओं के बीच होती है। हम इस पर विचार नहीं करने जा रहे हैं। यह खारिज की जाती है। तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष जी निरंजन ने निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के खिलाफ यह अवमानना याचिका दायर की थी।
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