Friday, September 16, 2022

बिहार: रोजगार की जरूरत ने ले ली मुजफ्फरपुर के सुजीत की जान, बकाया पैसे देने से बचने के लिए अरमान ने की हत्या?

मुजफ्फरपुर: एक ओर सरकार कभी एक करोड़ तो कभी 20 लाख नौकरी और रोजगार मुहैया कराने की बातें करती है। दूसरी ओर जमीनी स्तर पर हालात यह है कि रोजगार की तलाश में आज भी बिहार के युवा दर-दर भटकने, पलायन करने और पैसा कमाने के लिए जान तक गंवाने को विवश हैं। सरकारी स्तर पर मनरेगा समेत तमाम योजनाओं के लागू होने के बाद भी वर्तमान हालात में भी रोजी-रोटी की परेशानी बनी हुई है। आलम यह है कि युवा बेरोजगार अपना घर बार त्याग कर परदेस जाते हैं और बहुतेरे मौके पर ऐसा भी होता है कि उनकी लाश ही घर लौटती है। इसके पीछे कभी क्षेत्रवाद तो कभी लेनदेन वजह बन जाता है। ऐसी ही एक घटना मुज़फ्फरपुर जिले के सकरा प्रखंड क्षेत्र के मारकन गांव सामने आई है। सुजीत नामक एक युवक गांव के ही मोहम्मद अरमान नामक ठेकेदार के साथ रोजगार की तलाश में गुजरात गया था। महीनों ठेकेदार के दिशा निर्देश के तहत कामकाज किया। जब उसे यह लगा कि बड़ी मशक्कत करने के बाद भी वाजिब पैसे नहीं मिल रहे हैं तो वह वापस घर लौट आया। इस बीच जब ठेकेदार भी वापस सकरा लौटा, तब इस युवक ने ठेकेदार से अपनी मेहनत के बकाया पैसे की मांग की। बताया जाता है कि कुछ दिन पहले सुजीत गायब हो गया। बाद में उसकी लाश सकरा थाना क्षेत्र के गोपनाथपुर गांव के एक निजी विद्यालय में मिली। मृतक का गला, गुप्तांग, हाथ-पैर काट कर अलग अलग कर दिए मृतक का गला, गुप्तांग, हाथ-पैर काट कर अलग अलग कर दिए गए थे। अंदेशा है कि लेन-देन के मामले को लेकर उत्पन्न विवाद में ठेकेदार अरमान ने ही सुजीत की हत्या कराई है। 7 दिन से गायब सुजीत की तलाश सकरा पुलिस अगर समय से करती तो शायद सुजीत मिल भी जाता। फिलहाल मोहम्मद अरमान घटना के बाद से ही फरार है। वहीं सुजीत की नृशंस हत्या के बाद यह मामला सांप्रदायिकता का रंग ले बैठा है। गांव में विश्व हिंदू परिषद ने इस मामले को सांप्रदायिक का नतीजा बताते हुए आंदोलन खड़ा कर दिया है। सुजीत की हत्या के लिए अरमान जिम्मेदार: पीड़ित परिवार वहीं पीड़ित परिवार भी सुजीत की हत्या के लिए अरमान को ही जिम्मेदार बता रहा है। फिलहाल इस मामले में पुलिस छानबीन कर रही है, जब तक वास्तविक रिपोर्ट सामने नहीं आ जाती, फिलहाल कुछ भी दावे के साथ कहना उचित नहीं होगा। लेकिन यह कटु सत्य है कि बेरोजगारी के आलम में रोजी रोटी की तलाश आज भी बिहार के युवाओं के लिए परेशानी का सबब बनी हुई है।


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