Thursday, September 29, 2022

जज, पुलिस अफसर, यहूदी... PFI ने रची थी हमले की साजिश, 'मिशन 2047' था खौफनाक

नई दिल्ली/मुंबई: (PFI) पर बैन लग चुका है। इसने हाईकोर्ट के न्यायाधीशों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों पर हमले करने का कथित रूप से षड्यंत्र रचा। छापेमारी के दौरान बरामद किए गए कुछ आपत्तिजनक दस्तावेजों में इसके 2047 तक के ‘खाके’ का जिक्र किया गया है। केंद्रीय और राज्य के अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह भी दावा किया कि पीएफआई राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में युवाओं को शामिल करने के लिए सोशल मीडिया का व्यापक स्तर पर इस्तेमाल कर रहा था। इसके एक मॉड्यूल ने तमिलनाडु के पहाड़ी इलाके वट्टक्कनल में आने वाले विदेशियों, खासकर यहूदियों पर हमला करने की तैयारी भी कर ली थी। प्राधिकारियों ने कई राज्यों में पीएफआई के कई कार्यालयों को सील कर दिया और उसके कोष के लेन-देन पर रोक लगा दी। आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकवादी संगठन के साथ कथित ‘संबंधों’ और देश में साम्प्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश करने को लेकर सरकार की ओर से पीएफआई को पांच साल के लिए प्रतिबंधित किए जाने के एक दिन बाद गुरुवार को उसका ट्विटर खाता बंद कर दिया गया। ट्विटर पेज पर एक संदेश में कहा गया, ‘खाता बंद कर दिया गया है। पीएफआई के खाते को कानूनी मांग पर भारत में बंद कर दिया गया है।’ महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के प्रमुख विनीत अग्रवाल ने दावा किया कि पीएफआई ने अपने सदस्यों को घृणा अपराधों और लक्षित हत्याओं को अंजाम देने के लिए उकसाने की साजिश रची थी। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) रैंक के अधिकारी अग्रवाल ने बताया कि महाराष्ट्र में अपने हालिया अभियान के दौरान एटीएस ने पीएफआई से संबंधों के आरोप में गिरफ्तार लोगों के पास से कई आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए, जिनमें से एक में संगठन के साल 2047 तक के ‘खाके’ का जिक्र था। अग्रवाल ने बताया कि जब्त दस्तावेजों के मुताबिक, पीएफआई के सदस्य अपने एजेंडे के तहत लक्षित हत्याओं की साजिश रच रहे थे। उन्होंने हालांकि, इसका विवरण नहीं दिया। अग्रवाल के अनुसार, एटीएस ने आरोपियों के पास से कुछ गैजेट भी जब्त किए हैं। उन्होंने कहा कि आतंकवाद निरोधी एजेंसी इन गैजेट में मौजूद डेटा तक पहुंच हासिल करने की कोशिशों में जुटी है, ताकि पीएफआई की गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी जुटाई जा सके। कई राज्य सरकारों ने भी पीएफआई और उसके सहयोगियों पर केंद्र के प्रतिबंध को लागू करने और संबंधित राज्यों के जिलाधिकारियों और पुलिस आयुक्तों को अधिकार देने के आदेश जारी किए। तमिलनाडु पुलिस ने कहा कि उन्हें एक पत्र मिला है जिसमें कोयंबटूर के निकट स्थित पोल्लाची के 16 स्थानों पर पेट्रोल बम फेंके जाने की धमकी दी गई है। पुलिस ने कहा कि इसके बाद से इलाके की तलाशी ली जा रही है। पुलिस ने कहा कि उन्हें थाने में डाक से एक पत्र मिला जिसमें कहा गया, 'हम पुलिस के विरोध में नहीं हैं लेकिन हम कानून-व्यवस्था बिगाड़ना चाहते हैं।' उसने कहा कि पत्र कथित तौर पर एसडीपीआई और पीएफआई के नाम से भेजा गया है। एनआईए के अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी की जांच के अनुसार, पीएफआई के एक मॉड्यूल ने भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के इरादे से उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों, वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और अहमदिया समुदाय के मुसलमानों पर हमला करने की भी साजिश रची थी। इस मॉड्यूल में करीब 15 युवा और दक्षिणी राज्यों में उनसे जुड़े लोग शामिल थे। इनमें अधिकतर पीएफआई के सदस्य या वे लोग शामिल थे, जो वैश्विक आतंकवादी संगठन आईएसआईएस का समर्थन करते हैं। अधिकारियों ने बताया कि मॉड्यूल ने महत्वपूर्ण व्यक्तियों और सार्वजनिक महत्व के स्थानों को लक्षित करने के लिए विस्फोटक और अन्य विनाशकारी सामग्री एकत्र करके सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए आपराधिक साजिश रची थी। उन्होंने बताया कि मॉड्यूल - अंसार-उल-खिलाफा केरल - आईएसआईएस / आईएसआईएल में शामिल करने के लिए मुस्लिम युवाओं को भर्ती करने, उन्हें इसके लिए प्रोत्साहित करने, उकसाने और कट्टरपंथी बनाने के एक गुप्त अभियान में शामिल था। उन्होंने बताया कि इससे जुड़े लोगों ने आईएसआईएस की विचारधारा के प्रचार के लिए विभिन्न इंटरनेट आधारित मंचों का इस्तेमाल किया। जांचकर्ताओं द्वारा की गई सक्रिय निगरानी के दौरान मंसीद, स्वालित मोहम्मद, राशिद अली सफवान और जसीम एन सहित पांच संदिग्धों का पता लगाया गया। उन्हें दो अक्टूबर, 2016 को केरल के कन्नूर जिले से उस समय गिरफ्तार किया गया, जब वे कथित रूप से सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने की साजिश रचने के लिए बैठक कर रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों के आवास पर बाद में छापा मारा गया और वहां से डिजिटल उपकरणों एवं दस्तावेजों सहित अन्य सामग्री जब्त की गई। उन्होंने बताया कि आरोपियों को हिरासत में लेकर की गई पूछताछ से पता चला कि उन्होंने भारत के भीतर और बाहर अन्य साजिशकर्ताओं के साथ मिलकर फेसबुक एवं टेलीग्राम आदि जैसे सोशल मीडिया मंचों पर कथित रूप से सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए संवाद किया था। इनमें से एक आरोपी स्वालित मोहम्मद ने खुलासा किया कि उनकी गतिविधियों के वित्त पोषण के लिए उन्हें संयुक्त अरब अमीरात में अपने सहयोगियों से धन मिलता था। अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों ने आईएसआईएस की विचारधारा का प्रत्यक्ष रूप से और सोशल मीडिया के जरिए प्रचार किया एवं साजिश रची और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए सदस्यों की भर्ती की। उन्होंने ‘द गेट’, ‘बाब अल नूर’, ‘प्ले ग्राउंड’ आदि जैसे विभिन्न टेलीग्राम समूह बनाए थे। अधिकारियों के अनुसार, जांच से पता चला कि आरोपियों ने साजिश रची और कोडाईकनाल के निकट वट्टक्कनल आने वाले विदेशियों, खासकर यहूदियों पर, केरल में कोझिकोड के प्रमुख राजनीतिक नेताओं पर और कोच्चि में जमात-ए-इस्लामी के एक कार्यक्रम पर हमला करने की तैयारी की।


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