Saturday, May 10, 2025

एंटी-ड्रोन, स्मार्ट गोला-बारूद, बख्तरबंद गाड़ियां... सरकार का इन कंपनियों को यह आदेश कैसा?

नई दिल्‍ली: सरकार ने भारत फोर्ज और महिंद्रा एंड महिंद्रा के डिफेंस डिवीजन जैसी प्राइवेट कंपनियों से संपर्क किया है। यह संपर्क कुछ खास बढ़ाने के लिए किया गया है। इसमें एंटी-ड्रोन और स्मार्ट गोला-बारूद शामिल हैं। इसके साथ ही, बख्तरबंद गाड़ियां भी शामिल हैं, जिन्हें अलग-अलग हथियारों जैसे कि लोइटरिंग म्यूनिशन और गाइडेड मिसाइल के साथ जोड़ा जा सकता है। प्राइवेट कंपनियों को ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों की ओर से पहले से किए जा रहे उत्पादन के अलावा कुछ खास बढ़ाने के लिए कहा गया है। इंडियन एक्‍सप्रेस ने इंडस्ट्री सूत्रों के हवाले से बताया है कि इन सप्लायरों को जल्द ही एक फॉलो-अप मीटिंग के लिए बुलाया जा सकता है। '' पहल के बाद से देश का डिफेंस प्रोडक्शन तेजी से बढ़ा है। वित्‍त वर्ष 2023-24 में यह 1.27 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। फिलहाल, लगभग 65% डिफेंस उपकरण अब देश में ही बनते हैं। एक दशक पहले तक 65-70% उपकरण आयात किए जाते थे। भारत फोर्ज, महिंद्रा और टाटा ग्रुप जैसी प्राइवेट कंपनियां डिफेंस प्रोडक्शन में तेजी से महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। वित्‍त वर्ष 2023-24 में कुल डिफेंस प्रोडक्शन में इनका योगदान 21% रहा है।

जरूरी सामान बनाने वाली प्राइवेट कंपनियों की मदद

सरकार डिफेंस के लिए जरूरी सामान बनाने वाली प्राइवेट कंपनियों की मदद ले रही है। वह चाहती है कि ये कंपनियां एंटी-ड्रोन गोला-बारूद और बख्तरबंद गाड़ियों जैसे जरूरी सामान ज्यादा मात्रा में बनाएं। सरकार ने भारत फोर्ज और महिंद्रा एंड महिंद्रा जैसी कंपनियों से बात की है। उनसे कहा गया है कि वे ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों के साथ मिलकर काम करें और ज्यादा सामान बनाएं।भारत फोर्ज पुणे के पास जेजुरी में हथियारों और गाड़ियों का बड़ा कारखाना चलाती है। इस साल की शुरुआत में कंपनी ने डिफेंस मिनिस्ट्री के साथ एक बड़ा समझौता किया था। इसके तहत कंपनी 184 स्वदेशी रूप से विकसित एडवांस्ड टोएड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) सप्लाई करेगी। 155/52 मिमी कैलिबर की ATAGS को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) के साथ मिलकर बनाया गया है।स्वदेशी रूप से विकसित ATAGS 48 किलोमीटर तक गोले दाग सकती है। यह पूरी तरह से बिजली से चलती है। इससे इसे मेंटेनेंस की जरूरत नहीं होती। यह 18 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है। जबकि टोएड गन आमतौर पर 8 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती हैं। इसके अलावा, ATAGS छह गोले दाग सकती है, जबकि टोएड गन तीन गोले दाग सकती हैं। मौजूदा गोला-बारूद को बिना किसी बदलाव के ATAGS से दागा जा सकता है।

छोटे हथियार और गोला-बारूद बनाने का लाइसेंस

महिंद्रा को भी सरकार से छोटे हथियार और मिला हुआ है। यह कंपनी बख्तरबंद गाड़ियां और इंडियन आर्मी के लिए बिना बख्तरबंद गाड़ियां भी बनाती है। कंपनी मार्क्समैन भी बनाती है, जो शहरी लड़ाई के लिए डिजाइन की गई एक मिलिट्री गाड़ी है। इसके अलावा, कंपनी रक्षक भी बनाती है, जो बख्तरबंद मिलिट्री यूटिलिटी गाड़ी है।इंडियन आर्मी ने पहले '' पहल के तहत 23 मिमी एंटी-ड्रोन गोला-बारूद बनाने के लिए वेंडरों से जानकारी मांगी थी। इस पहल की देखरेख डायरेक्टरेट जनरल ऑफ आर्मी एयर डिफेंस कर रहा है।इंडिया के डिफेंस इंडस्ट्रियल बेस में 16 PSU के अलावा अब 430 से ज्यादा लाइसेंस प्राप्त कंपनियां और लगभग 16,000 एमएसएमई शामिल हैं। भारत फोर्ज, महिंद्रा और डिफेंस मिनिस्ट्री को भेजे गए सवालों का कोई जवाब नहीं मिला है।


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