Sunday, May 4, 2025

कब तक हम आतंकियों का खूनी खेल झेलते रहेंगे? पहलगाम नरसंहार ने फिर उठाए गंभीर सवाल

नई दिल्ली: पहलगाम की खूबसूरत वादियों में 22 अप्रैल को हुआ खौफनाक नरसंहार देश के दिल-दिमाग पर छाया हुआ है। धूप में चमकते मैदान में 26 हिंदुओं को सिर्फ उनके धर्म की वजह से गोलियों से भून दिया गया। इस क्रूर हमले ने पूरे देश में गुस्सा और युद्ध की मांग को हवा दी है, लेकिन क्या हम वाकई इस अनघट युद्ध के लिए तैयार हैं?

'हम पहले से युद्ध से जूझ रहे'

वरिष्ठ पत्रकार तवलीन सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस में लिखे अपने लेख में इस घटना पर गहरे सवाल उठाए हैं। वे कहती हैं कि हम आतंकवाद से नहीं, बल्कि एक हैं, जहां दुश्मन कायरों की तरह निहत्थे नागरिकों को निशाना बनाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार की एक रैली में चेतावनी दी कि भारत हमलावरों को ढूंढकर सजा देगा। गृहमंत्री ने भी जोशीले भाषण में ‘जीरो टॉलरेंस’ की बात कही, लेकिन हमले के बाद हत्यारे इतनी आसानी से कैसे गायब हो गए?

आतंकियों की तकनीक, हमारे पास क्यों नहीं?

सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, आतंकियों के पास बिना फोन के जीवित रहने की ट्रेनिंग और तकनीक है। यह बात जम्मू में पहले हुए एक हमले के बाद भी सामने आई थी, लेकिन हमारी खुफिया एजेंसियां ऐसी तकनीक क्यों नहीं हासिल कर पाईं? हत्यारों की तलाश में ड्रोन तक का इस्तेमाल नहीं हो रहा। आखिर आतंकी हमारी एजेंसियों से हमेशा एक कदम आगे कैसे रहते हैं?

रेकी से नरसंहार तक, हमले की साजिश

हमले से पहले आतंकियों ने , पर्यटकों से उनका धर्म पूछा, कुछ से ‘कलमा’ पढ़ने को कहा और फिर गोली मार दी। इतना समय उन्हें कैसे मिला? मैदान इतना असुरक्षित क्यों था? आखिर सुरक्षा बलों को रेकी का समय पर पता क्यों नहीं चला?

पुरानी गलतियां, नई चुनौतियां

25 साल पहले छत्तीसिंहपोरा में सिखों के नरसंहार के आरोपी भी नहीं पकड़े गए, जबकि तब आतंकियों के पास कम तकनीक थी। आज तकनीक बेहतर है, लेकिन क्या हमारी सेना के पास जरूरी उपकरण हैं? अगर आतंकियों के पास बेहतर हथियार और तकनीक है, तो इसका कारण क्या है? क्या सुरक्षा के लिए जिम्मेदार लोग गलत फहमी में जी रहे हैं?

आईएसआई के खिलाफ हमारी रणनीति क्या?

हमले के बाद श्रीनगर में जिहादियों के घर उड़ाए गए, लेकिन इन जिहादियों का पता हमले के बाद ही क्यों चला? इन्हीं सवालों की वजह से पाकिस्तान ‘फॉल्स फ्लैग’ का इल्जाम लगाकर बच रहा है। इस बर्बर हमले ने देश में गुस्से की लहर पैदा की है, लेकिन टीवी एंकर्स राष्ट्रवाद दिखाने में इतने व्यस्त हैं कि असल जांच भूल गए हैं। अगर पाकिस्तान की आईएसआई इतनी चालाकी से यह युद्ध लड़ रही है, तो भारतीय सेना ऐसी स्पेशल यूनिट क्यों नहीं बना पाई जो इसका मुकाबला करे? यह युद्ध दशकों से चल रहा है और आगे भी चल सकता है। सवाल यह है- क्या हम तैयार हैं?


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