नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने भारतीय टेलीविजन के लिए कुछ नई गाइडलाइंस (Indain Television New Guidelines) जारी कर दी है। इन गाइडलाइंस में से एक गाइड लाइन ऐसी है, जिसकी चर्चा पिछले 24 घंटे से हो रही है। यह गाइडलाइन है 30 मिनट के लिए राष्ट्रीय और जनहित से जुड़ी सामग्री प्रसारित करना। टीवी चैनलों को इसे अनिवार्य तौर पर लागू करना होगा। सरकार की ओर से 8 टॉपिक निर्धारित किए गए हैं, जिन पर टीवी चैनलों को कंटेंट प्रसारित करना है। सरकार के अनुसार, इस कदम के पीछे तर्क यह है कि एयरवेव सार्वजनिक संपत्ति है और समाज के सर्वोत्तम हित में इसका उपयोग करने की आवश्यकता है। चैनलों को राष्ट्रीय महत्व और सामाजिक प्रासंगिकता के विषयों पर एक दिन में कम से कम 30 मिनट के लिए सार्वजनिक सेवा का प्रसारण करना है। आइए जानते हैं टॉपिक: 1-शिक्षा और साक्षरता- टीवी चैनलों को एजुकेशनल प्रोग्राम प्रसारित करने होंगे, जिससे देश के युवाओं को लाभ मिल सके। 2-कृषि और ग्रामीण विकास- टीवी चैनलों को किसानों की उपज को बढ़ाने के तरीके और ग्रामीण विकास को ध्यान में रखकर भी कार्यक्रम बनाने होंगे। 3- स्वास्थ्य और परिवार कल्याण- लोगों के स्वास्थ्य और बेहतर इलाज की जानकारी को लेकर भी टीवी चैनलों को शो तैयार करने होंगे। 4- विज्ञान और प्रौद्योगिकी- साइंस और टैक्नोलॉजी के विषय पर भी रोजाना कुछ ना कुछ कार्यक्रम बनाने की बाध्यता रहेगी। 5- महिलाओं का कल्याण- महिलाओं से जुड़ी सरकारी योजनाओं और महिला सशक्तिकरण पर भी टीवी चैनलों को कार्यक्रम प्रसारित करने होंगे। 6- समाज के कमजोर वर्गों का कल्याण- पिछड़े और समाज के वंचित वर्ग को ध्यान में रखकर भी टीवी चैनलों को कंटेंट तैयार करना होगा । 7- पर्यावरण और सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा- देश की सांस्कृतिक विरासत और पर्यावरण सुरक्षा को लेकर भी टीवी चैनलों को कार्यक्रम प्रसारित करने होंगे। 8- राष्ट्रीय एकीकरण-राष्ट्रहित के मद्देनजर टीवी चैनलों को देश भक्ति से जुड़ा कंटेंट भी तैयार करना होगा, जिससे राष्ट्रीय एकीकरण और मजबूत हो। सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा, 'प्रसारकों और अन्य हितधारकों के साथ परामर्श के बाद, हम जल्द ही इस तरह की सामग्री के प्रसारण के लिए समय स्लॉट और कार्यान्वयन की तारीख से संबंधित एक विशिष्ट सलाह जारी करेंगे।' उन्होंने कहा कि एक बार लागू होने के बाद मंत्रालय इस तरह की सामग्री के लिए चैनलों की निगरानी करेगा और यदि कोई गैर-अनुपालन पाया जाता है, तो स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि यह शर्त सभी चैनलों पर लागू होती है, विशेष रूप से छूट के रूप में उल्लिखित चैनलों को छोड़कर, इस संबंध में एक विस्तृत सलाह जल्द ही जारी की जाएगी। कार्यक्रमों के सीधा प्रसारण की अनुमति लेने की जरूरत नहीं कार्यक्रमों के सीधा प्रसारण के लिए अनुमति लेने की जरूरत को खत्म कर दिया गया है, केवल सीधा प्रसारण वाले कार्यक्रमों का पूर्व पंजीकरण आवश्यक होगा।’ उन्होंने कहा कि स्टैंडर्ड डेफिनिशन (एसडी) से हाई डेफिनिशन (एचडी) या इसके उलट भाषा बदलने या ट्रांसमिशन मोड में बदलाव के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी। चैनल को केवल मंत्रालय को किए जाने वाले बदलावों के बारे में सूचित करना होगा। इस संबंध में दिशानिर्देश पहली बार 2005 में जारी किए गए थे और 2011 में उनमें संशोधित किए गए थे। अंतरिम अवधि में तकनीकी प्रगति को ध्यान में रखते हुए 11 साल बाद इसमें अब संशोधन किया गया है।
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