Sunday, May 21, 2023

देश के लिए जान हाजिर है... लालकिले से युवा PM राजीव गांधी का वो अंतिम भाषण

नई दिल्ली: देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज पुण्यतिथि है। आज से 32 साल पहले श्रीपेंरबदूर में धमाके में उनकी मौत हो गई थी। उनकी हत्या की साजिश की कहानी तो ज्यादातर लोग जानते ही हैं। लेकिन क्या आपको पता है अपनी मौत से पहले ही उन्होंने लालकिले की प्राचीर से दिए भाषण में कहा था कि देश के लिए उनकी जान भी चली जाए, तो उन्हें कोई गम नहीं है। 15 अगस्त 1989 को उन्होंने ये ऐतिहासिक भाषण दिया था। उन्होंने कहा था कि भारत को हम टूटने नहीं देंगे। देश के लिए जान हाजिर है। हम कोई भी कुर्बानी के लिए तैयार हैं। 'भारत को हम कमजोर नहीं होने देंगे'राजीव गांधी का लालकिले से दिया गया भाषण आज भी याद किया जाता था। उन्होंने कहा, 'देशद्रोहियों ने इंदिरा जी को तो भारत के लोगों से ले लिया। उन्होंने मेरी मां मुझसे छीन ली। लेकिन मैंने संकल्प लिया कि मैं उन्हें कामयाब नहीं होने दूंगा। हम देश टूटने नहीं देंगे। चाहे कोई भी कीमत देनी पड़े चाहे कोई भी कुर्बानी देने की जरूरत हो। वो कुर्बानी हम देने को तैयार होंगे। लेकिन भारत को हम कमजोर नहीं होने देंगे। भारत को टूटने नहीं देंगे।''देश के लिए जान हाजिर है, देश के लिए कोई भी कुर्बानी हाजिर है'इंदिरा गांधी को याद करते हुए उन्होंने आगे कहा, 'अगर मेरी मां ने इंदिरा जी ने मुझे कुछ सिखाया तो ये सिखाया था कि देश के लिए कोई भी कुर्बानी कम है। चाहे कैसी भी कुर्बानी का सामना करना पड़े, चाहे कैसे भी मुश्किलों का सामना करने, चाहे देश के लिए जान देनी पड़े... देश के लिए जान हाजिर है, देश के लिए कोई भी कुर्बानी हाजिर है।'कैसे हुई थी राजीव गांधी की हत्या?पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या में एक तमिल नक्सलवादी संगठन एलटीटीई ने कराई थी। वो विमान से रात 8.20 बजे मद्रास एयरपोर्ट पहुंचे। वहां से बुलेटप्रूफ कार से श्रीपेरंबदूर पहुंचे। रात 10.10 बजे राजीव गांधी श्रीपेरंबदूर पहुंच गए, जहां उनका जोरदार स्वागत किया गया। पहले राजीव गांधी पुरुषों से मिले इसके बाद स्वागत में खड़ी महिलाओं के पास पहुंचे। तभी एक महिला ने उन्हें चंदन का हार दिया और पैरों को छूकर आशीर्वाद लेने की कोशिश की। तभी वहां भयानक विस्फोट हो गया और मौके पर ही राजीव गांधी की मौत हो गई। राजीव गांधी के शरीर के चिथड़े उड़ चुके थे। यह हमला भारतीय राजनीति और सामाजिक जीवन में गहरा प्रभाव डाला। इस हमले के आरोप में एलटीटीई के सदस्य मुरुगन अन्तगुरु समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया।


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