नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने कहा कि लंदन उच्च न्यायालय में नीरव मोदी मामले की अंतिम सुनवाई के दौरान दो मनोरोग विशेषज्ञों की गवाही मोदी की खराब मनोवैज्ञानिक स्थिति के तर्क को खारिज करने में महत्वपूर्ण साबित हुई और इसके चलते फैसला भारत के पक्ष में आया। सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि अंतिम सुनवाई के दौरान, विशेषज्ञों -कार्डिफ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एंड्रयू फॉरेस्टर और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सीना फजल ने उच्च न्यायालय के समक्ष सबूत पेश किए और अदालत ने नीरव मोदी की अपील खारिज कर दी। एजेंसी ने एक बयान में कहा, 'ब्रिटेन के उच्च न्यायालय का आज का निर्णय भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के सीबीआई के प्रयासों के लिहाज से एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और यह इस बात की भी याद दिलाता है कि बड़ी धनराशि की धोखाधड़ी करके कानूनी प्रक्रिया से भागने वाले खुद को इस प्रक्रिया से ऊपर न मानें।' सीबीआई ने कहा कि उसने अदालत के सामने तथ्यों को प्रभावी ढंग से पेश करने के लिए कड़ी मेहनत की, खासकर तब जब नीरव मोदी ने भारत में जेल के हालात और स्वास्थ्य सुविधाओं की उपलब्धता आदि के बारे में विभिन्न सवाल उठाए थे। एजेंसी ने कहा कि वह नीरव मोदी मामले में भारत का पक्ष मजबूती से रखने के लिए शाही अभियोजन सेवा के अथक प्रयासों की सराहना करती है। सीबीआई ने मामले में समन्वय के लिए भारतीय उच्चायोग, गृह मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के प्रयासों की भी तारीफ की।
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