न्यूयॉर्क: वैज्ञानिकों ने को लेकर बड़ा ऐलान किया है। दुनियाभर में जंग के हालात को देखते हुए शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों ने तीन साल में पहली बार इस घड़ी में 10 सेकेंड समय कम किया है। इन शीर्ष परमाणु वैज्ञानिकों के अनुसार, अब दुनिया तबाह होने से सिर्फ 90 सेकेंड की दूरी पर है। इस घड़ी में आधी रात का का वक्त होने में जितना कम समय रहेगा दुनिया में परमाणु युद्ध का खतरा उतना ही करीब होगा। 1947 से ही काम कर रही यह घड़ी बताती है कि दुनिया महाविनाश से कितनी दूर खड़ी है। अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में सालाना डूम्सडे क्लॉक की घोषणा करते हुए वैज्ञानिकों ने कहा कि पूरी दुनिया पर तबाही के कगार पर खड़ी है।
तीन साल बाद घड़ी में बदला गया समय
बुलेटिन ऑफ़ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स (बीएएस) ने डूम्सडे क्लॉक की घोषणा करते हुए कहा कि यूक्रेन पर रूस का जारी आक्रमण, कोविड महामारी, जलवायु संकट और जैविक खतरे सबसे बड़े संकट बने हुए हैं। शीत युद्ध के चरम के दौरान भी डूम्सडे क्लॉक कभी भी तबाही के इतनी ज्यादा नजदीक नहीं पहुंची है। पिछले तीन साल से इस घड़ी की सुई आधी रात से 100 सेकेंड की दूरी पर रुकी हुई थी। तब बताया जा रहा था कि खतरा 100 सेकेंड पर ही रुका हुआ है। लेकिन, इस बाद यूक्रेन युद्ध में बढ़ते जोखिमों के कारण तबाही के एक कदम और करीब आ गया है।वैज्ञानिक बोले- हम अभूतपूर्व खतरे का सामना कर रहे
बीएएस के अध्यक्ष और सीईओ राहेल ब्रॉनसन ने कहा कि हम अभूतपूर्व खतरे के समय में रह रहे हैं। कयामत के दिन की घड़ी का समय उस वास्तविकता को दर्शाता है। 90 सेकंड तक की दूरी आधी रात से अब तक सबसे करीब है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा निर्णय है जिसे हमारे विशेषज्ञ हल्के में नहीं लेते हैं। अमेरिकी सरकार, उसके नाटो सहयोगियों और यूक्रेन के पास बातचीत के लिए कई चैनल हैं। हम नेताओं से आग्रह करते हैं कि वे घड़ी को पीछे करने की पूरी क्षमता से उन सभी का पता लगाएं।कैसे मापा जाता है खतरे का स्तर
डूम्सडे क्लॉक के लिए खतरे का स्तर कई पैमानों पर मापा जाता है। इसका आंकलन युद्ध, हथियारों, जलवायु परिवर्तन, विध्वंसकारी तकनीक, प्रॉपगैंडा वाले वीडियो और अंतरिक्ष में हथियारों की तैनात की कोशिश जैसे वैश्विक हलचल से मापी जाती है। त युद्ध की समाप्ति पर 1991 में यह घड़ी मध्यरात्रि यानी विनाश से सबसे अधिक 17 मिनट की दूरी पर थी। डूम्सडे क्लॉक एक सांकेतिक घड़ी है जो मानवीय गतिविधियों के कारण वैश्विक तबाही की आशंका को बताती है। इस घड़ी में मध्यरात्रि 12 बजने को भारी तबाही का संकेत माना जाता है। 1945 में हिरोशिमा और नागासाकी में हुए हमले के बाद वैज्ञानिकों ने मानव निर्मित खतरे से विश्व को आगाह करने के लिए इस घड़ी का निर्माण किया गया था।from https://ift.tt/9mkBGcU
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