जयपुर: राजस्थान प्रदेश कांग्रेस में अंदरूनी कलह का जिन्न एक बार फिर बाहर आता दिख रहा है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कुछ दिनों के लिए सियासी बयानबाजी थम गई थी लेकिन पिछले चार दिन से गहलोत और पायलट एक दूसरे पर लगातार सियासी हमले कर रहे हैं। किसान सम्मेलन के जरिए सचिन पायलट राजस्थान के पांच जिलों के दौरों पर हैं। 16 जनवरी को पहले किसान सम्मेलन के दौरान पायलट ने गहलोत सरकार पर नकल और पेपर लीक माफियाओं पर कार्रवाई को लेकर कटाक्ष किया था। इसके बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने पायलट के बयान का पलटवार भी किया। आपसी बयानबाजी के बीच बुधवार को अशोक गहलोत ने सचिन पायलट की तुलना कोरोना से कर दी।
यहां पढिए गहलोत ने पायलट को कोरोना क्यों कहा
दरअसल बुधवार 18 जनवरी को सचिवालय में कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत संवाद कर रहे थे। इसी दौरान एक कर्मचारी नेता ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि आप कर्मचारियों की ओर से बार बार आग्रह करने पर भी मिलते नहीं हो। इसका जबाव देते हुए गहलोत ने सचिन पायलट का नाम लिए बिना तंज कस दिया। गहलोत ने कहा कि अब मैं मिलने लगा हूं। पहले कभी उपचुनाव, कभी राज्यसभा चुनाव कभी कोरोना आ गया था। गहलोत ने हंसते हुए यह भी कहा कि एक बड़ा कोरोना तो हमारी पार्टी के अंदर भी आ गया है। इस दौरान बैठक में मौजूद कई अफसर, जनप्रतिनिधि और कर्मचारी संगठनों के प्रतिनिधि ठहाके लगाकर हंसने लगे।पायलट के पेपर लीक मामले में गहलोत को लिया था आड़े हाथों
उधर बुधवार 18 जनवरी को ही सचिन पायलट ने झुंझुंनूं के गुढा में अशोक गहलोत के बयान पर पलटवार किया था। अशोक गहलोत ने पेपर लीक मामले में अफसरों और नेताओं को क्लीन चिट दी तो पायलट ने कहा कि अगर अफसर दोषी नहीं है तो तिजोरी में बंद पेपर बाहर कैसे आ जाते हैं। ये भी कोई जादूगरी है क्या। सचिन पायलट ने कहा कि अफसरों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। अगर किसी अफसर की जिम्मेदारी पेपर की सुरक्षा करना है तो लीक होने पर उस अफसर के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाना चाहिए। गिरफ्तार किए गए आरोपियों को राजनैतिक संरक्षण देने वाले नेताओं के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। (रिपोर्ट - रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)from https://ift.tt/Z39U0w7
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