जोशीमठ: उत्तराखंड के जोशीमठ में बने संकट के माहौल के बीच सरकार का एक बड़ा ऐक्शन सामने आया है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और उत्तराखंड सरकार ने इसरो समेत एक दर्जन से अधिक सरकारी संगठनों, संस्थानों तथा उनके विशेषज्ञों से जोशीमठ की स्थिति पर कोई अनधिकृत टिप्पणी या बयान नहीं देने को कहा है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की ओर से जोशीमठ की उपग्रह से ली गई तस्वीरें जारी किए गए जाने के बाद यह निर्देश दिए गए हैं। इन तस्वीरों से पता चलता है कि हिमालयी शहर केवल 12 दिनों में 5.4 सेमी धंस गया। जमीन धंसने की यह घटना लगभग दो जनवरी से शुरू हुई। इस बीच, उत्तराखंड के मंत्री धन सिंह रावत ने शनिवार को कहा कि इसरो की तस्वीरें वापस ले ली गई हैं। रावत ने कहा कि इसरो ने तस्वीरों के आधार पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।मंत्री धन सिंह रावत ने मीडिया से कहा कि मैंने इसरो की वेबसाइट पर जोशीमठ की उपग्रह से ली गई तस्वीरें देखी थीं। इसके बाद मैंने इसरो के निदेशक से बात की। उनसे पूछा कि वह इस संबंध में आधिकारिक बयान क्यों नहीं जारी कर रहे हैं। अब मुझे बताया गया है कि इन उपग्रह तस्वीरों को वापस ले लिया गया है। स्थिति का जायजा लेने के लिए जोशीमठ पहुंचे मंत्री ने कहा कि जोशीमठ में हालात सामान्य हो रहे हैं। किसी को घबराने की जरूरत नहीं है।
एनडीएमए ने भी जारी किया दिशा-निर्देश
एनडीएमए की ओर से भी दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। जोशीमठ आपदा पर नजर रखने वाले संगठनों और संस्थानों के प्रमुखों को भेजे अपने पत्र में कहा है कि उनसे जुड़े लोगों को उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने के संबंध में मीडिया से बातचीत नहीं करनी चाहिए। सोशल मीडिया पर इससे संबंधित आंकड़े साझा नहीं करने चाहिए। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इस परामर्श का मकसद मीडिया को जानकारी देने से इंकार करना नहीं, बल्कि भ्रम से बचना है। इसका कारण बताया जा रहा है कि इस प्रक्रिया में बहुत सारे संस्थान शामिल हैं। वे स्थिति के मद्देनजर अपनी-अपनी व्याख्या दे रहे हैं।एनडीएमए ने कहा कि यह देखा गया है कि विभिन्न सरकारी संस्थान इस विषय से संबंधित आंकड़े सोशल मीडिया मंचों पर जारी कर रहे हैं। साथ ही, वे मीडिया के साथ बातचीत में जोशीमठ की स्थिति की अपनी तरह से व्याख्या कर रहे हैं। जोशीमठ पर ये सारे बयान न केवल प्रभावित निवासियों, बल्कि देश के नागरिकों के बीच भी भ्रम पैदा कर रहे हैं। एनडीएमए ने कहा कि 12 जनवरी को केंद्र सरकार के स्तर पर बुलाई गई एक बैठक के दौरान यह मुद्दा उठा। बाद में, उसी दिन एनडीएमए की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में भी इस पर चर्चा की गई।एनडीएमए ने कहा कि जोशीमठ में जमीन धंसने के आकलन के लिए एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया गया है। एनडीएमए ने संगठनों से अपने विशेषज्ञों को मामले के बारे में संवेदनशील बनाने के लिए कहा। साथ ही, कहा कि संगठनों और विशेषज्ञों को एनडीएमए की ओर से गठित विशेषज्ञ समूह की अंतिम रिपोर्ट जारी होने तक मीडिया मंचों पर कुछ भी साझा करने से बचना चाहिए।उत्तराखंड सरकार ने भी जारी किया पत्र
उत्तराखंड सरकार ने इसी तरह के पत्र में संगठनों से कहा है कि कुछ संस्थान और एजेंसियां सक्षम प्राधिकारियों से उचित अनुमति के बिना जोशीमठ के बारे में जानकारी या रिपोर्ट प्रकाशित और साझा कर रहे हैं। यह जमीनी हालात पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के साथ-साथ निवासियों में डर पैदा कर रहे हैं। पत्र में कहा गया है कि संगठनों को ऐसी किसी भी रिपोर्ट या जानकारी को प्रकाशित या सोशल मीडिया पर साझा करने से पहले संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों या उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से पूर्वानुमति लेनी चाहिए।कांग्रेस ने बोला जोरदार हमला
कांग्रेस ने शनिवार को इस सरकारी परामर्श की आलोचना की। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट कर कहा है कि संकट को हल करने और लोगों की समस्याओं का समाधान खोजने के बजाय, सरकारी एजेंसियां इसरो की रिपोर्ट पर प्रतिबंध लगा रही हैं। अपने अधिकारियों को मीडिया से बातचीत करने से रोक रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी से आग्रह है कि जो वास्तविक स्थिति बता रहें हैं, उनको सजा मत दीजिए (डोंट शूट द मैसेंजर)। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि वे एक संवैधानिक संस्था से दूसरे पर हमला करवाते हैं। अब, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण इसरो को चुप रहने के लिए कहा जा रहा है।इन संस्थानों को भेजे गए निर्देश
एनडीएमए की ओर से कई संस्थानों को निर्देश भेजे गए हैं। वहीं, उत्तराखंड सरकार ने भी विभागों को परामर्श भेजा है। एनडीएमए की ओर से निर्देश केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (सीबीआरआई), रुड़की, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआई), इसरो, हैदराबाद के राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (एनआरएससी), केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी), नई दिल्ली, भारत के महासर्वेक्षक, देहरादून और भारतीय सुदूर संवेदन संस्थान, देहरादून को भेजे गए हैं। वहीं, सरकार की ओर से परामर्श राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान हैदराबाद, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की, वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान देहरादून, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान नई दिल्ली, उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को भी भेजा गया है।from https://ift.tt/FxJd9WO
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