नई दिल्ली: बीजेपी की पूर्व पार्षद राधिका अबरोल फोगाट का सोमवार को ब्रेन हेमरेज से निधन हो गया। वह मात्र 33 साल की थी, वह दिल्ली में बीजेपी की ऐक्टिव नेताओं में से एक थीं। वह दिल्ली के सफदरगंज इन्कलेव वार्ड से पार्षद रह चुकी हैं। इसके अलावा वह एजुकेशन कमेटी की डिप्टी चेयरपर्सन भी रह चुकी थीं। राधिका दिल्ली यूनिवर्सिटी से फिलॉसफी में गोल्ड मेडलिस्ट थीं। वे लीड्स यूनिवर्सिटी, लंदन की स्टूडेंट भी रही थीं।
क्यों रही चर्चा में?
साल 2012 में राधिका अबरोल ने एमसीडी को एक प्रस्ताव दिया था। इसमें कहा गया था कि दिल्ली के 'हुमायूंपुर गांव' का नाम बदलकर 'हनुमानपुर' किया जाना चाहिए। नाम बदलने की यह डिमांड ऐसे समय आई थी जब उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में 'मियागंज' का नाम बदलकर 'मायागंज' करने का प्रस्ताव सुर्खियों में थी। राधिका ने बतौर पार्षद दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) के दक्षिण जोन की जोनल समिति की बैठक में यह प्रस्ताव रखा था। प्रस्ताव में पार्षद ने कहा था, 'मुगल काल के दौरान दिल्ली के सभी गांवों का नाम जबरन बदला गया था। सफदरजंग एन्क्लेव के वॉर्ड संख्या 61 में स्थित 'हुमायूंपुर गांव' भी इसमें शामिल है। यह एसडीएमसी के अधिकारक्षेत्र के तहत शहरीकृत गांव की श्रेणी में आता है।'कोरोना से जीती थी जंग
साल 2020 में राधिका कोरोना की चपेट में आ गई थी। कोरोना पॉजिटिव होने के बाद राधिका ने एक वीडियो संदेश दिया था। उन्होंने कहा था, 'पांच दिन से उन्हें बुखार था। उसके बाद सर्दी-जुकाम और खांसी हुई। मैंने समझा ये मामूली बात है क्योंकि मुझे एलर्जी प्राब्लम है। तब एक बार भी मैंने यह नहीं सोचा कि मुझे कोरोना है, लेकिन ऐसा नहीं है। ये बीमारी किसी को भी हो सकती है।' उन्होंने कहा था कि 'उनके साथ वाले लोग कहते थे कि ये कोई बीमारी नहीं है। इसे ऐसे ही हौव्वा बनाया हुआ है। लेकिन यह सच में एक गंभीर बीमारी है। यह कोई हौव्वा नहीं है।' उन्होंने कोरोना वायरस को मात दे दी थी।from https://ift.tt/XzUhdlu
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