न्यूयॉर्क: ने बुधवार को क्षुद्रग्रह बेन्नु से एकत्र किए गए सबसे बड़े नमूने की पहली तस्वीर जारी की। इस नमूने को नासा के OSIRIS-REx मिशन मिशन के जरिए पृथ्वी पर लाया गया था। इस अंतरिक्ष यान ने बेन्नु के नमूने को लाने के लिए 2020 में उड़ान भरी थी। दो हफ्ते पहले ही OSIRIS-REx का कैप्सूल सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लौटा। इस कैप्सूल ने अमेरिका के यूटा रेगिस्तान में लैंडिंग की थी। इस नमूने को सोना और चांदी से भी ज्यादा कीमती माना जा रहा है। लगभग 750 ग्राम के इस नमूने को पाने के लिए नासा ने 1.16 अरब डॉलर (96,45,86,98,000 रुपये) खर्च किए थे। बेन्नु का यह नमूना 4.6 अरब साल पुराना है। यह इस रहस्य से पर्दा उठा सकता है कि पृथ्वी कैसे बनी और इस पर जीवन की शुरुआत कैसे हुई।
नासा ने बेन्नु के बारे में क्या बताया
नासा ने बेन्नु क्षुद्रग्रह का चयन इसके कार्बनिक यौगिकों की प्रचुरता के आधार पर किया था। इसके अलावा बेन्नु की कक्षा ने मंगल और बृहस्पति के बीच स्थित क्षु्द्रग्रह बेल्ट तक पहुंचने की तुलना में राउंडट्रिप मिशन को सरल बना दिया। नासा के शोधकर्ताों ने इस क्षुद्रग्रह के मलबे से "बोनस कण" खोजने के बारे में आशआ जताई है। OSIRIS-REx क्यूरेशन लीड क्रिस्टोफर स्नेड ने एक बयान में कहा कि सबसे अच्छी 'समस्या' यह है कि इतनी सारी सामग्री है, इसे इकट्ठा करने में हमारी अपेक्षा से अधिक समय लग रहा है। उन्होंने कहा कि इतनी सारी सामग्री का होना वास्तव में शानदार है।बेन्नु के मलबे से क्या पता चलेगा
अंतरिक्ष यान द्वारा एकत्र किए गए डेटा से पता चला कि क्षुद्रग्रह बेन्नु के बाहरी हिस्से को बनाने वाले कण इतने ढीले हैं कि अगर कोई व्यक्ति इसकी सतह पर उतरे को वह प्लास्टिक की गेंदों के गड्ढे में कदम रखने की तरह ही डूब सकता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि क्षुद्रग्रहों के नमूने हमें बताते हैं कि पृथ्वी जैसा ग्रह बनाने के लिए वे सभी सामग्रियां क्या थीं और वे हमें यह भी बताने में सक्षम हैं कि इसका नुस्खा क्या था। ये टुकड़े ये भी बता सकते हैं कि वे सामग्रियां एक साथ कैसे आईं और एक साथ मिश्रित होने लगीं और अंत में पृथ्वी पर रहने योग्य वातावरण बन गया।from https://ift.tt/hyX1OY8
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