बांदा: आजादी के आंदोलन में महात्मा गांधी का बांदा से गहरा नाता रहा है। ब्रिटिश राज से देश को मुक्ति दिलाने के लिए महात्मा गांधी आजादी की अलख जगाने जब भारत के भ्रमण पर निकले थे। तब 1929 में वह बांदा भी आए थे। उनके आने पर शहर में प्रभात फेरी निकाली गई थी। इसी दौरान शहर कोतवाली में सीढ़ी लगाकर स्वयं चढ़कर बिल्डिंग के ऊपर पहुंचे और चरखा वाला तिरंगा फहराकर क्रांतिकारियों में जोश भरने का काम किया था। उस समय उनके साथ कस्तूरबा गांधी भी थी।महात्मा गांधी की गोद में 9 वर्षीय इंदिरा जी बैठीं थीइस बारे में जानकारी देते हुए क्रांतिकारी पंडित गोपीनाथ दनादन के उत्तराधिकारी पुत्र सत्य प्रकाश द्विवेदी ने बताया कि 1929 में रावी नदी के तट पर लाहौर में कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। इसमें प्रतिनिधि के रूप में बांदा से क्रांतिकारी गोपीनाथ दनादन भी शामिल हुए थे।इसी सम्मेलन में जवाहरलाल नेहरू को कांग्रेस का अध्यक्ष मनोनीत किया गया था। साथ ही इसी अधिवेशन में देश को पूर्ण गणराज्य घोषित किया गया था। सत्य प्रकाश द्विवेदी बताते हैं कि उनके पिता ने बताया था कि इस अधिवेशन में महात्मा गांधी की गोद में इंदिरा जी बैठी थी, उस समय उनकी उम्र 9 वर्ष थी।वह अपने साथ सफेद बकरी लेकर आए थेगोपीनाथ दनादन के पुत्र सत्य प्रकाश बताते हैं कि 1929 में महात्मा गांधी देश प्रेम की अलख जगाने के लिए फतेहपुर के रास्ते नवंबर माह में बांदा आए थे। उनके साथ उस समय जे वी कृपलानी, महादेव देसाई और कस्तूरबा गांधी भी थी। वह अपने साथ सफेद बकरी लेकर आए थे जिसका दूध वह स्वयं पीते थे।बांदा आगमन के दौरान हुए शहर के कटरा स्थित कुंवर हर प्रसाद सिंह की कोठी में रुके थे और चौधरी चंद्रभूषण सिंह की बग्घी में सवार होकर पूरे नगर का भ्रमण किया था। भ्रमण के दौरान जनपद के समस्त क्रांतिकारी जिनमें कुंवर हर प्रसाद सिंह चौधरी, चंद्रभूषण सिंह, पंडित रूद्रदेव शर्मा क्रांतिकारी पंडित गोपीनाथ दनादन मैयादीन सिंह ,हल्का लोहार, जगन्नाथ करवरिया, राम बहोरी करवरिया, राजा राम रुपौलिहा और रामगोपाल तिवारी इत्यादि शामिल थे।प्रभात फेरी में हजारों लोग शामिलजब महात्मा गांधी प्रभात फेरी में निकले उसे समय सर में बांधें कफनवा शहीदों की टोली निकली, वंदे मातरम और भारत माता की जय का उद्घोष करते हुए हजारों लोग गांधी जी के काफिले में चल रहे थे।यह काफिला जब कोतवाली के समीप पहुंचा तब महात्मा गांधी ने एक लकड़ी की सीढ़ी मंगवाई और उसे लगाकर कोतवाली की इमारत में चढ़ गए। उन्होंने उस इमारत में भारत मां का जयकारा लगाते हुए चरखा वाला तिरंगा फहराया था। प्रभात फेरी के बाद महात्मा गांधी का काफिला हमीरपुर के लिए रवाना हो गया था।
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