Tuesday, August 20, 2024

वायनाड भूस्खलन पीड़ितों के गल गए हैं शव, कैसे हो पहचान? अब यह कदम उठाने की तैयारी कर रही केरल सरकार

तिरुवनंतपुरम: केरल के वायनाड में हुए भयानक भूस्खलन के बाद पीड़ितों की पहचान करना एक बड़ी चुनौती बन गया है। मृतकों के शव इतने सड़े हुए हैं कि उनसे साफ डीएनए सैंपल निकालना मुश्किल हो रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए केरल सरकार अब नेक्स्ट-जनरेशन डीएनए सीक्वेंसिंग टेक्नोलॉजी (NGS) का इस्तेमाल करने पर विचार कर रही है। राज्य के राजस्व मंत्री के राजन ने बताया कि सरकार ने NGS तकनीक के इस्तेमाल पर विशेषज्ञों से बातचीत शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि हम पीड़ितों की पहचान के लिए हर संभव तकनीक का उपयोग करना चाहते हैं और विशेषज्ञों से यह जानने के लिए बातचीत कर रहे हैं कि क्या इस तकनीक से सड़े हुए शवों की पहचान की जा सकती है।नेक्स्ट-जनरेशन डीएनए सीक्वेंसिंग टेक्नोलॉजी क्या है?दरअस NGS तकनीक, पारंपरिक डीएनए प्रोफाइलिंग की तुलना में बहुत तेज़ और सटीक है। इससे मानव जीनोम की अधिक व्यापक जानकारी मिलती है और डीएनए के कई टुकड़ों की एक साथ जांच की जा सकती है। इसके लिए कम मात्रा में डीएनए सैंपल की भी ज़रूरत होती है। अभी तक केरल में आपदा पीड़ितों की पहचान (DVI) के लिए NGS का उपयोग नहीं किया गया है। केरल जीनोम डेटा सेंटर (KGDC) के रणनीतिक सलाहकार सैम संतोष ने कहा कि NGS सड़े हुए शवों की पहचान में भी मददगार होगा। उन्होंने आगे कहा कि हो सकता है कि कुछ मामलों में समस्या हो, लेकिन हमारे पास ऐसी तकनीकें हैं जिनसे इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।डीएनए प्रोफाइलिंग के जरिए 248 शवों की पहचान वायनाड भूस्खलन में मरने वालों की पहचान के लिए कन्नूर की रीजनल फॉरेंसिक लैब में छह सदस्यों की एक टीम काम कर रही है। टीम ने अब तक डीएनए प्रोफाइलिंग के जरिए 248 शवों की पहचान की है। लेकिन सड़े हुए शवों से साफ डीएनए न मिल पाने के कारण पहचान प्रक्रिया में बाधा आ रही है। टीम ने ऐसे 52 सैंपलों को अलग रखा है और 20 और सैंपल लैब में आने वाले हैं।कैसे मददगार होगी एसजीएसफोरेंसिक टीम के एक अधिकारी ने बताया कि पारंपरिक डीएनए विश्लेषण विधि में कम से कम 1 नैनोग्राम डीएनए की आवश्यकता होती है। लेकिन कुछ सैंपल ऐसे हैं जिनसे हमें पर्याप्त मात्रा में डीएनए नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में हम बार-बार विश्लेषण करते हैं ताकि देख सकें कि क्या हमें कुछ परिणाम मिल सकते हैं। NGS से उम्मीद है कि कम मात्रा में डीएनए होने पर भी बेहतर परिणाम मिलेंगे। हमें देखना होगा कि क्या NGS मददगार साबित होता है। अब तक, 42 मामलों में रेफरेंस सैंपल से मिलान करके पहचान की जा चुकी है।राजस्व मंत्री ने क्या कहा?राजस्व मंत्री राजन ने कहा कि अब 401 सैंपल से तैयार डीएनए प्रोफाइल का मिलान 118 लापता लोगों के साथ किया जाएगा। उन्होंने बताया कि रिश्तेदारों के 91 ब्लड सैंपल मिलान के लिए उपलब्ध हैं। तीन मामलों में करीबी रिश्तेदार नमूने देने के लिए दूसरे राज्यों से आएंगे। क्रॉस-मैचिंग की अपनी चुनौतियां भी हैं। ऐसे मामले हैं जहां करीबी रिश्तेदार भी मर चुके हैं और कुछ मामलों में माता-पिता के बजाय जीवनसाथी के नमूने एकत्र किए गए हैं। सटीक क्रॉस-मैचिंग सुनिश्चित करने के लिए ऐसे मामलों को सुलझाया जाना होगा और नए सिरे से नमूने एकत्र किए जाने होंगे।


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