बांसवाड़ा: राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के आदिवासी इलाकों में पिछले कुछ महीनों से एक रहस्यमयी बीमारी तेजी से फैल रही है। इस बीमारी का नाम सिकल सेल एनीमिया है। यह एक अनुवांशिक बीमारी है जो तेजी से फैल रही है। राज्य सरकार की ओर से सीएमएचओ को आदेश देकर आदिवासी क्षेत्र में स्क्रीनिंग कराई गई। अब तक करीब 10 लाख लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। स्क्रीनिंग से 692 मरीजों में यह बीमारी होने की पुष्टि हुई है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के बाद सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों के लिए एडवाइजरी जारी की है। सरकार की ओर से क्षेत्र में वैक्सीनेशन अभियान चलाने का फैसला लिया गया है।
हर आयु वर्ग के हैं मरीज
बांसवाड़ा जिले के डिप्टी सीएमएचओ डॉ. राहुल डिंडोर बताते हैं कि अब तक करीब 10 लाख लोगों की स्क्रीनिंग हुई है जिससे 692 लोगों में इस बीमारी से संक्रमित होने की बात सामने आई है। मरीज हर आयु वर्ग के हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में सिकल सेल एनीमिया होने की पुष्टि हुई है। डॉ. डिंडोर बताते हैं कि यह अनुवांशिक बीमारी है। माता पिता के जरिए बच्चों में आती है। एक कोई पुलिस इस बीमारी से ग्रसित है तो उसके संपर्क में आने से पत्नी भी संक्रमित हो जाती है। इस तरह से यह बीमारी तेजी से फैल रही है।चिकित्सा विभाग की ओर से जारी किया गया है अलर्ट
डॉ. डिंडोर का कहना है कि विभाग की ओर अलर्ट जारी किया गया है। हर क्षेत्र में निगाह रखने और मरीजों पर निगरानी रखने के लिए भी कहा गया है। लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक किया जा रहा है क्योंकि यह बीमारी स्त्री पुरुष के संबंध बनाने से ज्यादा फैलती है। ऐसे में जो व्यक्ति इस बीमारी से संक्रमित है, उसे अपने साथी से शारीरिक संबंध नहीं बनाने के लिए कहा जाता है। अगर कोई अविवाहित युवक और युवती इस बीमारी से संक्रमित है तो ऐसे युवक युवतियों को शादी नहीं करनी चाहिए। विभाग की ओर से हर अविवाहित युवक युवती को शादी से पहले स्क्रीनिंग कराने की सलाह दी है। विभाग की ओर से पॉजिटिव मरीजों को लगातार इलाज दिया जा रहा है।ये लक्षण है इस गंभीर बीमारी के
डॉ. राहुल डिंडोर का कहना है कि पॉजेटिव मरीज में रेड ब्लड सेल कम हो जाते हैं जिससे वह कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाता है। यह बीमारी रेड ब्लड डिसऑर्डर से जुड़ी है और खून में मौजूद हीमोग्लोबिन को बुरी तरह प्रभावित करती है। ऐसे में शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी हो जाती है। शरीर के अंगों तक ठीक से ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाती जिससे शरीर के हिस्सों में तेज दर्द होने लगता है। हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द रहना, हाथ पैरों में सूजन आना, थकान होना, कमजोरी महसूस होना, शरीर में पीलापन आने के साथ किडनी से संबंधित बीमारी होना इसके प्रमुख लक्षण है। संक्रमित बच्चों में कुपोषण, आंखों से जुड़ी समस्याएं और इन्फेक्शन जैसे लक्षण पैदा हो जाते हैं। माता-पिता में से कोई एक सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित है तो यह बीमारी बच्चों में आ सकती है। कई मामलों में संक्रमित मरीज की मृत्यु भी हो जाती है।कई सालों से है यह बीमारी
बांसवाड़ा से 12 किलोमीटर दूर झुपेल गांव में इसी साल मार्च में स्क्रीनिंग से 40 वर्षीय महिला में सिकल सेल एनीमिया की पुष्टि हुई। पता चला कि महिला को यह बीमारी कई साल से थी। इसी कारण हर 2-3 महीने में वह बीमार पड़ जाती थी। अब हर महीने अधिकारियों की ओर से मोनिटरिंग की जाती है। गनाऊ गांव में सीकल सेल एनीमिया पॉजेटिव एक लड़की का कहना है कि उसमें खून की कमी है। मार्च में उसने जांच कराई तब इस बीमारी के बारे में पता चला। हालांकि अभी तक उसे कोई गंभीर तकलीफ नहीं हुई है। वह घर का पूरा काम काज कर पा रही है और विभाग से मिली दवाइयां ले रही है। बांसवाड़ा शहर से 32 किलोमीटर दूर डूंगरपुर रोड पर स्थित बजाखरा गांव के एक ही परिवार में 6 लोग सिकल सेल एनीमिया पॉजिटिव पाए गए हैं। दो महीने पहले स्वास्थ्य विभाग की टीम गांव में आई और जांच की तब बीमारी के बारे में पता चला।वैक्सीनेशन कराएगी सरकार
राज्य सरकार की ओर से इस बीमारी से ग्रसित मरीजों को मुफ्त दवाएं दी जा रही है। सरकार की ओर से सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर दवाएं मुफ्त उपलब्ध कराई गई है। चिन्हित मरीजों को मुफ्त दवा वितरण किया जाता है। इस बीमारी को पूरी तरह से खत्म करने के लिए वैक्सीनेशन की मंजूरी मिल गई है। दो वैक्सीन न्यूमोकोल और मैनिंगोकोल हैं जो इस बीमारी को 50 से 60 फीसदी कम कर देती है। राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से इस वैक्सीन की मांग की है। वैक्सीन की सप्लाई आने वाली है जिसके बाद वैक्सीनेशन किया जाएगा। वैक्सीन की कीमत करीब 10 से 12 हजार रुपए है लेकिन सरकार की ओर से मुफ्त वैक्सीन लगाई जाएगी।from https://ift.tt/nftimBr
No comments:
Post a Comment