तेल अवीव: इजरायल ने 2006 के लेबनान युद्ध में हिजबुल्लाह सरगना हसन नसरल्लाह को तीन बार मारने की कोशिश की थी। इजरायल का पहला हवाई हमला अपने लक्ष्य से चूक गया था, क्योंकि उस जगह से हसन नसरल्लाह पहले ही निकल चुका था। दो अन्य हवाई हमले जमीन के कई फीट नीचे मौजूद उसके कंक्रीट के बंकर को भेदने में नाकाम रहे थे। लेकिन, शुक्रवार रात को इजरायली सेना ने अपनी पुरानी गलतियों को सुधार लिया। इजरायली मीडिया के अनुसार, नसरल्लाह को दक्षिण बेरूत में एक अपार्टमेंट परिसर के नीचे बने एक बंकर में ट्रैक किया गया और उसे मार गिराने के लिए 80 से अधिक बम गिराए गए।
इजरायल का आत्मविश्वास चरम पर
के बाद इजरायली सेना और दूसरे सुरक्षा प्रतिष्ठानों का आत्मविश्वास आसमान में है। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि इजरायल ने इस क्षेत्र के अपने सबसे बड़े प्रतिद्वंदियों में से एक को लगातार कई विनाशकारी झटके दिए हैं। इजरायल के पेजर और वॉकी टॉकी विस्फोटों ने हिजबुल्लाह को पहले ही घुटनों पर ला दिया था। इसके बाद इजरायली हवाई हमलों में हिजबुल्लाह के कई शीर्ष कमांडर मारे गए, जो दशकों से आतंकी अभियानों का नेतृत्व कर रहे थे। अब इजरायल ने हसन नसरल्लाह को मार गिराकर हिजबुल्लाह की कमर तोड़ दी है।खुफिया जानकारी ने इजरायल को दिलाई सफलता
फाइनेंशियल टाइम्स ने अपनी रिपोर्ट में वर्तमान और पूर्व अधिकारियों के हवाले से बताया है कि जो बदलाव हाल में देखने को मिले हैं, वे पिछले दो महीनों में इजरायल को मिली सटीक खुफिया जानकारी से संभव हुए हैं। इजरायल ने 30 जुलाई को हसन नसरल्लाह का दाहिना हाथ कहे जाने वाले फुआद शुकर को मार गिराया था। इन अधिकारियों ने बताया कि इजरायल 2006 से ही हिजबुल्लाह की जड़ें खोदने में जुटा हुआ था। इसके लिए इजरायल ने हिजबुल्लाह की बड़े पैमाने पर जासूसी करने का अभियान शुरू किया।दशकों से हिजबुल्लाह की जासूसी कर रहा था इजरायल
अगले दो दशकों तक, इजरायल की परिष्कृत सिग्नल इंटेलिजेंस यूनिट 8200 और इसके सैन्य खुफिया निदेशालय, जिसे 'अमन' कहा जाता है, ने इजरायल के "उत्तरी क्षेत्र" में तेजी से बढ़ते हिजबुल्लाह के हर कदम पर नजर रखने के लिए बहुत अधिक मात्रा में डेटा का विश्लेषण किया। पूर्व वरिष्ठ खुफिया अधिकारी मिरी आइसिन ने कहा कि इसके लिए इजरायल ने हिजबुल्लाग को देखने के तरीके में एक मौलिक बदलाव की आवश्यकता थी। ऐसे में इजरायली खुफिया एजेंसियों ने हिजबुल्लाह को समझने और जासूसी के लिए अपने दायरे को बढ़ाया। इजरायल ने हिजबुल्लाह की न केवल मिलिट्री यूनिट, बल्कि उसकी राजनीतिक महत्वकांक्षाओं, ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के साथ बढ़ते संबंध और सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद के साथ नसरल्लाह के संबंधों पर भी नजर बनाए रखा।सीरिया मिशन ने हिजबुल्लाह की कब्र खोदी
इजरायली खुफिया एजेंसियों ने लगभग एक दशक तक हिजबुल्लाह को "ओसामा बिन लादेन" की तरह आतंकवादी समूह के बजाय "आतंकवादी सेना" के रूप में देखा। यह एक वैचारिक बदलाव था जिसने इजरायल को हिजबुल्लाह का उतना ही बारीकी से और व्यापक रूप से अध्ययन करने के लिए मजबूर किया जितना उसने सीरियाई सेना का किया था। जैसे-जैसे हिजबुल्लाह की ताकत बढ़ती गई, जिसमें 2012 में असद की तानाशाही के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह को दबाने में मदद करने के लिए सीरिया में तैनात होना भी शामिल है, इसने इजरायल को अपने तरीके से काम करने का मौका दिया। इसके बाद जो जानकारियां मिली, उससे साफ हुआ कि हिजबुल्लाह के संचालन किसके हाथ में था, किसे प्रमोशन मिल रही थी, कौन भ्रष्ट था, और कौन उसके दोस्तों से मिल रहा था।इजरायल ने हिजबुल्लाह में बनाई पैठ
जब हिजबुल्लाह ने सीरिया में बसर अल असद के पक्ष में अपना सैन्य अभियान शुरू किया, तभी इजरायल को बड़ा मौका मिल गया। उस समय हिजबुल्लाह को बड़े पैमाने पर लड़ाकों की जरूरत महसूस हुई। ऐसे में इजरायली जासूसों ने अपने एजेंटों को हिजबुल्लाह में भर्ती करवाया और संभावित लोगों की पहचान की, जो पैसे के बदले जानकारियां दे सकते थे। इससे हिजबुल्लाह के आंतरिक नियंत्रण तंत्र कमजोर हो गए और समूह में बड़े पैमाने पर घुसपैठ के लिए दरवाजा खुल गया। सीरिया में युद्ध भी इजरायल के लिए एक बड़े डेटा का सोर्स बनकर उभरा। हिजबुल्लाह और उसके समर्थक युद्ध में मारे जाने वाले अपने लड़ाकों और उनके जनाजों की तस्वीरें पोस्ट करते थे। इससे यह पता चलता था कि लड़ाका किस शहर से था, वह कहां मारा गया था। अंतिम संस्कार और भी अधिक खुलासा करने वाले थे, जिनें कभी-कभी वरिष्ठ नेताओं को भी देखा जाता था।हिजबुल्लाह ने असद को समर्थन देकर चुकाई कीमत
बेरूत में एक पूर्व उच्च पदस्थ लेबनानी राजनीतिज्ञ ने कहा कि इजरायल या अमेरिकी खुफिया एजेंसियों द्वारा हिजबुल्लाह में घुसपैठ करना "असद के लिए उनके समर्थन की कीमत थी।" उन्होंने कहा, "उन्हें सीरिया में खुद को सामने लाना पड़ा," जहां उन्हें कुख्यात भ्रष्ट सीरियाई खुफिया सेवा या रूसी खुफिया सेवाओं के साथ जानकारी साझा करनी पड़ी, जिन पर अमेरिका नियमित रूप से नजर रखता था। इससे इजरायल को और अधिक जानकारियां मिली और वह हिजबुल्लाह के कमांड सेंटर में अंदर तक घुस गया। इसके बाद इजरायल हर मौके पर हिजबुल्लाह से दो कदम आगे ही रहा। दो दिन पहले पूरी दुनिया ने उसी की धमक देखी, जब इजरायल ने बेरूत में हिजबुल्लाह सरगना हसन नसरल्लाह को मार गिराया।from https://ift.tt/CGr0JMI
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