पटनाः आरजेडी सुप्रीमो स्वास्थ्य जांच के बाद सिंगापुर से लौट आए हैं। आते ही उनकी सियासी गतिविधियां भी तेज हो गई हैं। लालू के बेटे और बिहार के पूर्व डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव ने 10 सितंबर से बिहार में आभार यात्रा की घोषणा की है। वे अपने स्तर से इसकी तैयारियों में तो जुटे ही हैं, लेकिन अब लालू ने भी उनकी यात्रा की कामयाबी के लिए अपनी रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। आरजेडी ने अपने सभी विधायकों और विधान पार्षदों की चार सितंबर को पटना में बैठक बुलाई है। विधानसभा के पूर्व प्रत्याशियों को बैठक का न्योता गया है। नेताओं का पटना पहुंचना भी आज मंगलवार से शुरू हो गया है। बैठक के बारे में सबको यही सूचना दी गई है कि संगठन को मजबूत करने के लिए सबको बुलाया गया है। आरजेडी के अंदरखाने से निकली जानकारी के मुताबिक तेजस्वी की आभार यात्रा के अलावा अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के के कोर एजेंडे पर चर्चा होगी। लालू सबको बताएंगे कि किन मुद्दों पर चुनावी माहौल बनाना है।
आरजेडी ने तय किए हैं दो बड़े मुद्दे
जो जानकारी निकल कर सामने आ रही है, उसके मुताबिक दूसरे मुद्दों के अलावा दो बड़े मुद्दे ही चुनावी माहौल बना सकते हैं। ये मुद्दे आरजेडी और इंडिया ब्लाक में शामिल सभी दलों को सूट भी करते हैं। इनमें पहला बड़ा मुद्दा है जाति जनगणना का। यद्यपि बिहार में यह काम हो चुका है, इसलिए इसे बड़ा मुद्दा नहीं कहा जा सकता है, लेकिन राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में यह दीर्घकालिक असर पैदा कर सकता है। कांग्रेस भी जाति जनगणना को लेकर मुखर रही है। लालू तो जाति जनगणना की मांग करने वालों में अपने को अव्वल ही मानते हैं। तेजस्वी यादव ने कहना भी शुरू कर दिया है कि जाति जनगणना की मांग सबसे पहले लालू प्रसाद यादव ने ही की थी।आरएसएस से लालू को बल मिला
आरएसएस ने भी जाति जनगणना के सवाल पर अपनी सहमति देकर लालू और इंडिया ब्लाक के अन्य नेताओं को ताकत दी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सोमवार को जाति जनगणना पर अपने विचार बताए। संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर का कहना कि जाति जनगणना संवदेनशील मामला है। इसका इस्तेमाल राजनीतिक या चुनावी उद्देश्यों के लिए नहीं होना चाहिए। कल्याण की नीयत से इसका इस्तेमाल पिछड़ रहे समुदाय और जातियों के उत्थान के लिए होना चाहिए। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के उप वर्गीकरण की दिशा में बिना किसी सर्वसम्मति के कोई कदम नहीं उठाया जाना चाहिए। आरएसएस की यह राय विपक्ष की मांग का समर्थन है। इससे लालू का उत्साहित होना स्वाभाविक है। इसलिए केंद्र सरकार की ओर से इस मुद्दे पर हामी भरने तक लालू अलख जगाए रखना चाहते हैं।कास्ट सेंसस और आरक्षण बड़े मुद्दे
लालू बुधवार को पार्टी नेताओं की बैठक में जाति जनगणना और बिहार में बढ़ाए गए आरक्षण की सीमा पर रोक को मुद्दा बनाने का निर्देश देंगे। केंद्र सरकार पहले कतिपय कारण बता कर जाति जनगणना कराने से कर चुकी है। जाति जनगणना के पक्ष में आरएसएस के आ जाने से केंद्र सरकार अगर जाति जनगणना कराने का निर्णय लेती है तो लालू और विपक्ष के नेता इसे अपनी जीत बता कर चुनाव में भुनाने का भरपूर प्रयास करेंगे। चूंकि बिहार में यह काम नीतीश कुमार करा चुके हैं, इसलिए तेजस्वी इसका लाभ उठा पाएंगे कि नहीं, यह देखने वाली बात होगी। बिहार में जाति सर्वेक्षण के बाद आरक्षण की सीमा बढ़ा कर 65 प्रतिशत कर दी गई। अदालत ने इस पर रोक लगा दी है। आरजेडी इसका ठीकरा नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी सरकार पर फोड़ेंगे। वे बताएंगे कि आरक्षण विरोधी होने के कारण मोदी सरकार ने इसे नौवीं अनुसूची में शामिल करने के नीतीश कुमार के अनुरोध पर विचार नहीं किया। इसके बावजूद नीतीश भाजपा के सहयोगी बने हुए हैं।अपराध वृद्धि भी होगा मुद्दा
बिहार में अपराध के आंकड़े हाल के दिनों में अपने ‘एक्स’ हैंडल पर डालते रहे हैं। ऐसा कर वे आरजेडी पर जंगल राज के धब्बे को मिटाना चाहते हैं। इसलिए घूम-घूम कर वे लोगों को बताएंगे कि एनडीए के लोग बेजां आरजेडी को बदनाम करते हैं। अब तो आरजेडी का शासन नहीं है। फिर अपराध बेकाबू क्यों हैं। अफसरों के भ्रष्टाचार को भी तेजस्वी जोर-शोर से उठाएंगे।from https://ift.tt/LsX1MFS
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