प्रयागराज: आल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर के खिलाफ गाजियाबाद पुलिस की ओर से दर्ज गई एफआईआर में अब धारा 152 भारतीय न्याय संहिता (BNS) भी जोड़ दी गई है। यह धारा भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्यों को अपराध मानती है। यूपी पुलिस की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट को आज (बुधवार) बताया गया कि के खिलाफ किन-किन धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है। यह एफआईआर ट्रस्ट की महासचिव उदिता त्यागी की शिकायत पर दर्ज की गई थी। उदिता त्यागी का दावा है कि ज़ुबैर ने 3 अक्टूबर को नरसिंहानंद के एक पुराने कार्यक्रम की वीडियो क्लिप पोस्ट की थी। उनका आरोप है कि ज़ुबैर का इरादा मुसलमानों को नरसिंहानंद के खिलाफ हिंसा के लिए भड़काना था। मोहम्मद ज़ुबैर ने इस FIR को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।25 नवंबर को मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने जांच अधिकारी (IO) को अगली सुनवाई तक एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। इस हलफनामे में स्पष्ट रूप से उन सभी धाराओं का उल्लेख होना चाहिए था, जिनके तहत ज़ुबैर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। आज कोर्ट में जवाब दाखिल करते हुए जांच अधिकारियों ने बताया कि FIR में दो नई धाराएं जोड़ी गई हैं। पहली धारा 152 BNS और दूसरी सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 जोड़ी गई है। गौरतलब है कि जुबैर के खिलाफ शुरुआत में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 196 (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 228 (झूठे सबूत गढ़ना), 299 (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य), 356(3) (मानहानि) और 351(2) (आपराधिक धमकी के लिए सजा) के तहत FIR दर्ज की गई थी।मोहम्मद ज़ुबैर ने FIR रद्द करने और कठोर कार्रवाई से सुरक्षा की मांग करते हुए हाई कोर्ट का रुख किया है। अपनी याचिका में उन्होंने कहा है कि उनके एक्स पोस्ट में यति नरसिंहानंद के खिलाफ हिंसा का आह्वान नहीं किया गया है। उन्होंने केवल पुलिस अधिकारियों को नरसिंहानंद की हरकतों के बारे में सतर्क किया था और कानून के अनुसार कार्रवाई की मांग की थी, और इसे दो वर्गों के लोगों के बीच वैमनस्य या दुर्भावना को बढ़ावा देना नहीं माना जा सकता है। उन्होंने BNS के तहत मानहानि के प्रावधान को लागू करने को भी चुनौती दी है। उनका तर्क है कि नरसिंहानंद के खुद के वीडियो, जो पहले से ही सार्वजनिक हैं, उन्हें शेयर करके उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करना मानहानि नहीं हो सकता।याचिका में यह भी कहा गया है कि पैगंबर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करते समय नरसिंहानंद एक अन्य नफरत भरे भाषण के मामले में जमानत पर थे, जहां उनकी जमानत की शर्त यह थी कि वह ऐसा कोई बयान नहीं देंगे, जो सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ता हो। ज़ुबैर ने पुलिस को सतर्क किया और कानून के मुताबिक कार्रवाई की मांग की। उनका कहना है कि इसे दो समुदायों के बीच नफरत फैलाना नहीं कहा जा सकता। मोहम्मद ज़ुबैर ने यह भी कहा कि सार्वजनिक रूप से उपलब्ध वीडियो शेयर करके कार्रवाई की मांग मानहानि नहीं है। याचिका में यह भी बताया गया है कि नरसिंहानंद पहले से ही एक नफरत भरे भाषण के मामले में जमानत पर थे। उनकी जमानत की शर्त थी कि वे ऐसा कोई बयान नहीं देंगे, जो सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़े।
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