नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि सीबीआई को नियमित रूप से जांच अपने हाथ में लेने का आदेश देने से न केवल जांच एजेंसी पर बोझ पड़ता है, बल्कि राज्य पुलिस के अधिकारियों का भी मनोबल गिरता है। जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एक प्रशिक्षु महिला चिकित्सक के साथ रेप और मर्डर के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन के दौरान गिरफ्तार महिला को पुलिस हिरासत में कथित तौर पर प्रताड़ित किए जाने संबंधी मामले की एसआईटी जांच का आदेश देते हुए यह टिप्पणी की।
हाई कोर्ट के आदेश में किया संशोधन
बेंच ने कलकत्ता हाई कोर्ट के 6 नवंबर के आदेश में संशोधन किया, जिसके तहत मामले की सीबीआई जांच का आदेश देने की सिंगल बेंच के आदेश को बरकरार रखा था। अदालत ने कहा, 'हमारे लिए उन कारणों पर टिप्पणी करना जरूरी नहीं है, सिवाय यह कहने के कि मामलों की जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंपने से न केवल देश की प्रमुख जांच एजेंसी पर अकल्पनीय बोझ पड़ता है, बल्कि राज्य पुलिस के अधिकारियों को भी मनोबल गिराने वाले बहुत गंभीर और दूरगामी प्रभाव का सामना करना पड़ता है।'सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी का किया गठन
सुप्रीम कोर्ट ने इस आधार पर आगे बढ़ना उचित नहीं समझा कि पश्चिम बंगाल कैडर को आवंटित सीनियर आईपीएस अधिकारी निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच करने और सच्चाई का पता लगाने में असमर्थ थे। शीर्ष अदालत ने तीन सदस्यीय एसआईटी का गठन किया, जिसमें 2009 बैच के आईपीएस अधिकारी आकाश मघरिया (डीआईजी प्रेसीडेंसी रेंज), स्वाति भंगालिया (एसपी हावड़ा ग्रामीण) और सुजाता कुमारी वीणापानी (हावड़ा की डीएसपी यातायात) शामिल हैं।'तत्काल एसआईटी करेगी मामले की जांच'
बेंच ने आदेश दिया, 'एसआईटी जांच तत्काल अपने हाथ में लेगी... जांच के सभी रिकॉर्ड आज ही एसआईटी को सौंप दिए जाएंगे और एसआईटी बिना किसी देरी के जांच शुरू कर देगी। अगर जरूरी हुआ तो एसआईटी कुछ अन्य पुलिस अधिकारियों को भी शामिल करने के लिए स्वतंत्र होगी।' सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से एक स्पेशल बेंच गठित करने का आग्रह किया, जिसके सामने एसआईटी अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट पेश करेगी और आगे की जांच के लिए अनुमति मांगेगी।from https://ift.tt/eiVrLaQ
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