नई दिल्ली: ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तीन साल से ज्यादा वक्त से चल रहे गतिरोध के बीच LAC के लिए रिजर्व भारतीय सैनिक अपनी ट्रेनिंग में जुटे हैं। लद्दाख में चल रही ट्रेनिंग में सैनिक हाई एल्टीट्यूट में होने वाले युद्ध के हर पहलू को समझ रहे हैं। युद्ध के हर सिनेरियो को ध्यान में रखते हुए उसकी प्रैक्टिस कर रहे हैं।एलएसी पर जो सैनिक तैनात हैं, उनके अलावा भी बड़ी संख्या में सैनिक यहां के लिए रिजर्व हैं। इसका मतलब है कि ये सैनिक अभी दूसरी जगहों पर हैं। लेकिन जरूरत पड़ने पर इन्हें कभी भी वहां भेजा जा सकता है। ये सैनिक जिस ऑपरेशनल रोल के लिए तय किए गए हैं उसकी प्रैक्टिस कर रहे हैं ताकि जरूरत होने पर सीधे अपने ऑपरेशनल रोल को अंजाम दे सकें। हाई एल्टीट्यूट की लड़ाई अन्य जगह से अलग होती है क्योंकि यहां का मौसम और भौगोलिक परिस्थितियां भी एक बड़ा चैलेंज होता है। जो सैनिक एलएसी के लिए रिजर्व हैं उन्हें लद्दाख में ट्रेनिंग के दौरान इलाके की चुनौतियों के बारे में बताया जा रहा है और वह अपने ऑपरेशनल रोल की प्रैक्टिस कर रहे हैं। एक अधिकारी के मुताबिक, किसी भी युद्ध के लिए सबसे पहला कदम होता है मोबलाइजेशन और ट्रेनिंग के लिए यहां पहुंचने के दौरान इसकी प्रैक्टिस हो जा रही है। ट्रेनिंग में सर्विलांस से लेकर डिफेंसिव और ऑफेंसिव रोल की प्रैक्टिस की जा रही है। यह प्रैक्टिस कर रहे हैं कि दुश्मन से अपने इलाके को कैसे बचाएंगे और दुश्मन क्या क्या चाल चल सकता है, उस हिसाब से हमारे सैनिक कैसे रिएक्ट करेंगे और किस तरह से हथियारों की तैनाती होगी, यह सब प्रैक्टिस लद्दाख में की जा रही है। साथ ही पैदल सैनिकों और तोप से लेकर टैंक तक कैसे कॉर्डिनेशन होगा यह सब ट्रेनिंग युद्ध के अलग अलग सिनेरियो के हिसाब से की जा रही है। लद्दाख हाई एल्टीट्यूट एरिया है और ट्रेनिंग के दौरान यह भी देखा जा रहा है कि हाई एल्टीट्यूट में शरीर पर किस तरह असर पड़ता है और इक्विपमेंट पर कैसा असर पड़ता है। एलएसी के लिए रिजर्व सैनिकों कि इस तरह की ट्रेनिंग जुलाई से लेकर अक्टूबर तक चलती है क्योंकि इसी मौसम में वहां ट्रेनिंग की जा सकती है। सैनिकों की अलग अलग बैच में ट्रेनिंग हो रही है।
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