Wednesday, May 22, 2024

कोई नया गुल खिला रहे चिराग? पार्टी का जिलाध्यक्ष सिवान में हिना शहाब के लिए कर रहा चुनाव प्रचार

सिवान: भूत पूर्व सांसद मरहूम शहाबुद्दीन की पत्नी हिना शहाब एक बार फिर सिवान लोकसभा सीट से चुनाव मैदान में हैं। इसके पहले भी वे सिवान से चुनाव से चुनाव लड़ चुकी हैं। तब और अब का फर्क सिर्फ इतना ही है कि पहले वे आरजेडी की उम्मीदवार होती थीं और इस बार निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं। पूरे सिवान को वे अपना परिवार बताती हैं। जाति-धर्म की दीवार उनकी चुनावी सभाओं में नहीं दिखती। उन की सभाओं में जय श्रीराम का नारा गूंजता है तो उन्हें धार्मिक आयोजनों में शिरकत करने से भी गुरेज नहीं है। उनके साथ जुट रही भीड़ में हर जाति-धर्म के लोग दिखते हैं। हिना के लिए दलीय सीमाएं भी टूटने लगी हैं। उनकी एक चुनावी सभा का वीडियो अभी चर्चा का केंद्र बना हुआ है।

हिना शहाब की सभा में लोजपा नेता की शिरकत

दरअसल वायरल हो रहा वीडियो एक चुनावी सभा का है, जिसमें एक ऐसे शख्स बोलते नजर आ रहे हैं, जो खुद को लोजपा (आर) का शेखपुरा जिलाध्यक्ष बता कर अपना परिचय देते हैं। वे यह भी बताते हैं कि हाजीपुर में का चुनाव संपन्न करा कर वे सिवान आए हैं। शहाबुद्दीन के साथ अपने संबंधों को भी वे उजागर करते हैं। उनका नाम है इमाम गजाली। हिना की सभा में कई लोगों के भाषण हुए, लेकिन उनका भाषण और हिना शहाब को विजयी बनाने की अपील लोगों को चौंकाती है। चौंकाने की बात इसलिए कि वे अपने को उस लोजपा का जिलाध्यक्ष बता रहे हैं, जो एनडीए की पार्टनर है। एनडीए की ओर से जेडीयू की विजय लक्ष्मी सिवान से चुनाव लड़ रही हैं। एनडीए के पार्टनर दल से होने के बावजूद गजाली का हिना शहाब के प्रचार में शामिल होना आश्चर्य तो पैदा करता ही है।

JDU को चिराग पर भरोसा, कार्रवाई उन पर छोड़ी

इमाम गजाली के हिना की चुनावी सभा में शिरकत करने का मामला जेडीयू के संज्ञान में आ गया है। जेडीयू ने गजाली की इस गतिविधि को उचित तो नहीं माना है, लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई का मामला लोजपा (आर) के रष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान पर छोड़ दिया है। जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि चिराग पासवान एनडीए में हैं और वे एनडीए उम्मीदवारों के प्रचार में शामिल भी होते रहे हैं। इसलिए उनकी मंशा पर संदेह उचित नहीं। रही बात कार्रवाई की तो यह उनकी पार्टी का मामला है। वे खुद इस पर विचार करेंगे।

चिराग और हिना शहाब की नजदीकी पहले से है

इमाम गजाली के इस कदम से पल भर के लिए ऐसा जरूर लगता है कि कहीं उनको इसकी हरी झंडी पार्टी से ही तो नहीं मिली है। इसके दो कारण हैं। पहला कारण यह कि शहाबुद्दीन के निधन के बाद चिराग पासवान हिना शहाब के संपर्क में रहे। उनका हालचाल लेते रहे। दोनों की नजदीकी को देखते हुए एक बार तो यह भी हवा उड़ी कि हिना शहाब लोजपा ज्वाइन करने वाली हैं। हालांकि हिना को लेकर ऐसी अफवाहें शहाबुद्दीन के निधन के बाद से ही उड़ती रही हैं। कभी एआईएमआईएम से उनके ताल्लुकात की भी खबरें आई थीं। हालांकि हिना ने कभी किसी को अपनी ओर से कुछ नहीं बताया। अलबत्ता वे यह बात जरूर कहती रहीं कि उनके पति के निधन के बाद आरजेडी ने उन्हें बिसुरा दिया। उन्होंने जब निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया, तब भी आरजेडी की ओर से उन्हें मनाने की कोशिश नहीं हुई। उल्टे आरजेडी ने उनके खिलाफ अवध बिहारी चौधरी को मैदान में उतार दिया।

गजाली की हरकत 2020 की पुनरावृत्ति तो नहीं!

लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान की नीतीश कुमार से पहले बेपटरी रही है। वैसे अब रिश्ते मधुर हो गए हैं। चिराग उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं तो नीतीश के मंत्री अशोक चौधरी की बेटी को उन्होंने समस्तीपुर से अपनी पार्टी का लोकसभा प्रत्याशी भी इस बार बनाया है। नीतीश से दूरी बना कर चलने वाले चिराग अब मुख्यमंत्री आवास में जाने से परहेज नहीं करते। नीतीश कुमार के साथ मंच साझा करने में वे असहज नहीं होते। जेडीयू प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार में भी चिराग शिरकत करते रहे हैं। अलबत्ता वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान दोनों के बीच तल्खी चरम पर थी। आलम यह कि चिराग पासवान ने जेडीयू के खिलाफ 137 सीटों पर चुनाव लड़ा। सीटें तो नहीं मिलीं, लेकिन जेडीयू को दो-ढाई दर्जन सीटों पर उनसे नुकसान हुआ। लोजपा की दूसरी उपलब्धि यह रही कि उसके उम्मीदवार नौ निर्वाचन क्षेत्रों में दूसरे स्थान पर आए थे। हालांकि इनमें से चार निर्वाचन क्षेत्रों में भाजपा के बागियों को लोजपा ने टिकट दिया था। लोजपा जिलाध्याक्ष गजाली के सिवान पहुंच कर हिना की सभा में शामिल होने के बाद लोगों को 2020 की पुनरावृत्ति का भ्रम हो सकता है। लेकिन ऐसा मानना इसलिए सही नहीं कि तकरीबन हर दल में एक-दो ऐसे मिल ही जाएंगे।


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