मुंबई: शिवसेना (UBT) ने मंगलवार को कहा कि पुणे में प्रधानमंत्री के साथ पुरस्कार समारोह में शामिल न होकर शरद पवार उन लोगों की शंकाओं को दूर कर सकते थे, जिन्हें उनका इस समारोह में जाना पसंद नहीं आया। शिवसेना (UBT) के मुखपत्र सामना के संपादकीय में दावा किया गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने एनसीपी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे और इसके बाद उन्होंने उस पार्टी को तोड़ दिया और महाराष्ट्र की राजनीति को दलदल बना दिया। इसके बावजूद शरद पवार मोदी का स्वागत करेंगे और यह बात कुछ लोगों को अच्छी नहीं लगी। अगर, शरद पवार समारोह में शामिल नहीं होते, तो उनके नेतृत्व और साहस की प्रशंसा की जाती।शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र 'सामना' में प्रकाशित एक संपादकीय में दावा किया गया कि प्रधानमंत्री मोदी ने एनसीपी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। इसके बाद उन्होंने उस पार्टी को तोड़ दिया और महाराष्ट्र की राजनीति को दलदल बना दिया। पुरस्कार समारोह से पहले प्रकाशित मराठी समाचार पत्र में कहा गया, 'इसके बावजूद शरद पवार मोदी का स्वागत करेंगे और यह बात कुछ लोगों को अच्छी नहीं लगी। यह पवार के लिए इस कार्यक्रम में अनुपस्थित रहकर लोगों के मन में उन्हें लेकर पैदा हो रही शंकाओं को दूर करने का अवसर था।'तिलक पुरस्कार समारोह में पहुंचे थे पवार और मोदी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विभिन्न विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखने और लोकमान्य तिलक राष्ट्रीय पुरस्कार स्वीकार करने के लिए मंगलवार को महाराष्ट्र के पुणे शहर के दौरे पर थे। लोकमान्य तिलक की विरासत का सम्मान करने के लिए 1983 में तिलक स्मारक मंदिर ट्रस्ट ने इस पुरस्कार की शुरुआत की थी। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार पिछले महीने एनसीपी से अलग होने के बाद पार्टी के आठ अन्य विधायकों के साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल हो गए थे। 'नेता मोदी के साथ मंच पर, कार्यकर्ता कर रहे प्रदर्शन'संपादकीय में कहा गया है कि देश तानाशाही के खिलाफ लड़ रहा है और इस मकसद के लिए 26 विपक्षी दलों का गठबंधन 'इंडिया' बनाया गया है। इसमें दावा किया गया कि शरद पवार इस गठबंधन के महत्वपूर्ण सेनापति हैं। पार्टी ने कहा कि शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता से लोगों को अलग अपेक्षाएं हैं। उसने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी मणिपुर हिंसा पर बात करने के लिए तैयार नहीं है। इसमें कहा गया कि देश के नेता का इस मामले पर नहीं बोलना राष्ट्रहित में नहीं है। संपादकीय में कहा गया कि प्रधानमंत्री के खिलाफ पुणे में प्रदर्शन हुए हैं और एनसीपी कार्यकर्ता इसमें भाग ले रहे हैं। शिवसेना ने कहा कि यह अजीब स्थिति है, क्योंकि नेता मोदी के साथ मंच साझा कर रहे हैं और पार्टी कार्यकर्ता काले झंडे लेकर उनके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
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