सुमित शर्मा, कानपुरः यूपी का कानपुर कांग्रेस पार्टी का गढ़ रहा है। कांग्रेस पार्टी ने 28 साल बाद किसी ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाया है। आलोक मिश्रा के नाम पर बीते कई दिनों से मंथन चल रहा था। शनिवार को पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी घोषित कर दिया। आलोक मिश्रा कानपुर के चर्चित चेहरे हैं, और डीपीएस स्कूल के प्रबंधक हैं। वहीं, बीजेपी ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। जबकि बसपा सुप्रीमों मायावती ने युवा चेरहे कुलदीप भदौरिया को प्रत्याशी बनाया है।कानपुर से पूर्व केंद्रीय कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल कांग्रेस के सबसे मजबूत स्तंभ रहे हैं। श्रीप्रकाश जायसवाल की उम्र 80 प्लस हो जाने की वजह से उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली है। इसके साथ ही कांग्रेस के दूसरे सबसे बड़े चेहरे रूप में अजय कपूर का नाम था। अजय कपूर ने बीते दिनों कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी का दामन थाम लिया था। कांग्रेस पार्टी अजय कपूर को प्रत्याशी बनाने पर विचार विमर्श कर रही थी।
विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं आलोक मिश्रा
कांग्रेस लोकसभा प्रत्याशी आलोक मिश्रा दो बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। पहली बार विधानसभा चुनाव 2002 में आलोक मिश्रा कल्यापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे। आलोक मिश्रा को 43,000 वोट मिले थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद उन्हें 2007 में फिर कल्यानपुर सीट से प्रत्याशी बनाया गया। जिसमें महज 25,000 वोट मिले थे।आलोक मिश्रा की पत्नी बंदना मिश्रा मेयर का लड़ चुकी हैं चुनाव
निकाय चुनाव 2017 में आलोक मिश्रा की पत्नी बंदना मिश्रा मेयर का चुनाव लड़ चुकी हैं। बंदना मिश्रा ने बहुत ही शानदार चुनाव लड़ा था। उनकी टक्कर बीजेपी प्रत्याशी प्रमिला पांडेय से थी। निकाय चुनाव में बंदना मिश्रा को 2,91,591 वोट मिले थे। लेकिन बंदना मिश्रा को बीजेपी प्रत्याशी प्रमिला पांडेय के सामने हार का सामना करना पड़ा था। लेकिन कांग्रेस पार्टी दूसरे नंबर थी।1984 में कांग्रेस ने उतारा था ब्राह्मण प्रत्याशी
कांग्रेस पार्टी ने 1984 में नरेशचंद्र चतुर्वेदी को प्रत्याशी के रूप में उतारा था। नरेशचंद्र चतुर्वेदी ने जीत भी दर्ज की थी। इसके बाद से ब्राह्मण प्रत्याशी जीत नहीं दर्ज सका। इसके बाद पार्टी ने भूधरमिश्रा को प्रत्याशी जरूर बनाया था, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल पाई थी। इसके बाद कांग्रेस पार्टी ने वैश्य बिरादरी से श्रीप्रकाश जायसवाल को प्रत्याशी बनाया। श्रीप्रकाश भी अपना पहला चुनाव हार गए थे। लेकिन इसके बाद श्रीप्रकाश तीन बार सांसद रहे।from https://ift.tt/nDUd962
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