पटना: देखिए गांधी मैदान में शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बांटने के दौरान मुख्यमंत्री ने केके पाठक की तारीफ की। उसके बाद बिहार विधानसभा में केके पाठक के पक्ष में खड़े होकर मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर ही सवाल खड़ा कर दिया। मुख्यमंत्री ने केके पाठक को ईमानदार बताते हुए विपक्ष पर उन्हें हटाने की कोशिश करने का आरोप तक लगा दिया। केके पाठक को इतनी जल्दी दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर नीतीश कुमार नहीं भेजेंगे। बिहार में शिक्षा व्यवस्था पर हमेशा से सवाल उठते रहा है। पहली बार है कि सरकार की गांव-गांव तारीफ हो रही है। केके पाठक के कुछ फैसलों को शिक्षकों ने अव्यवहारिक बताया। नीतीश कुमार ऐसा नहीं मानते हैं। उनके मन में है कि केके पाठक काफी कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति हैं। इन्हें बिहार की शिक्षा व्यवस्था को ही संभालना चाहिए। ये कहना है वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक धीरेंद्र कुमार का। धीरेंद्र कहते हैं कि आप केके पाठक का नेचर देखिए। वो बिहार के अन्य आईएएस अधिकारियों की तरह चेंबर में बैठ कर फैसले नहीं लेते। वे जमीन पर जाते हैं। वहां कमी होने पर सुधार का प्रयास करते हैं।
जानकारों की राय
वरिष्ठ पत्रकार सुनील पांडेय कहते हैं कि केके पाठक दिल्ली से लौटने के बाद लगातार स्कूलों और प्रशिक्षण केंद्रों का निरीक्षण कर रहे हैं। केके पाठक भविष्य में शिक्षा विभाग में होने वाले फैसलों की घोषणा कर रहे हैं। केके पाठक ने तालिमी मरकज और टोला सेवकों को एक्टिव किया है। उन्हें प्रशिक्षण दिलवा रहे हैं। उसके अलावा सभी शिक्षकों को हर 6 महीने पर प्रशिक्षण अनिवार्य कर रहे हैं। लगातार राजभवन से उनका विवाद जारी है। वे यूनिवर्सिटी के वीसी के साथ बैठक कॉल करते हैं। क्या आपको ऐसा लगता है कि बिना मुख्यमंत्री की स्वीकृति के ऐसा संभव है। केके पाठक कहीं नहीं जा रहे हैं। सुनील पांडेय कहते हैं कि केके पाठक को मुख्यमंत्री ने शिक्षा विभाग में विभिन्न तरह के सुधार कार्यों के लिए रखा है। उसमें एक 'खास ऑपरेशन' फर्जी टीचर भी है। देखिए बीपीएससी से बहाल फर्जी शिक्षकों की लगातार गिरफ्तारी हो रही है। केके पाठक की पहल के बाद जैसे सक्षमता परीक्षा शुरू हुई है, एक नया खुलासा होना शुरू हो गया है। बहुत सारे फर्जी प्रमाण पत्रों पर बहाल नियोजित शिक्षकों का खुलासा हो रहा है।शिक्षा विभाग में अलग चर्चा
शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी नाम नहीं छापने की शर्त पर बता रहे हैं कि केके पाठक दिल्ली जाने वाले नहीं हैं। उनकी ओर से नियोजित शिक्षकों की सक्षमता परीक्षा और राज्यकर्मी का दर्जा देने का मामला। उसके अलावा बीपीएससी में होने वाली शिक्षकों की आगामी बहाली। बीपीएससी के फर्जी शिक्षकों को निकाल-बाहर करना। ये सारा काम अभी उनके जिम्मे है। जिस पर तेजी से काम हो रहा है। फर्जी शिक्षक हर हाल में बचने वाले नहीं हैं। अधिकारी ने बताया कि नई और वैज्ञानिक तकनीक को अपनाकर वैसे शिक्षकों को बाहर करना है, जो फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी कर रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि इससे काम करने वाले और असली शिक्षकों पर कोई असर पड़ने नहीं जा रहा है। वैसे शिक्षक आराम से अपनी ड्यूटी कर सकते हैं। लेकिन केके पाठक की नजर से एक भी फर्जी शिक्षक नहीं बचेगा। ये जान लीजिए। मुख्यमंत्री की ओर से साफ निर्देश है कि शिक्षा विभाग से फर्जी शिक्षकों के कलंक को पूरी तरह से हटा दिया जाए। इसके लिए लगातार काम हो रहा है। देखिए जब से ऐसे शिक्षकों की खोजबीन शुरू हुई है। कई शिक्षक गायब हैं। सैकड़ों शिक्षकों का डाटा नहीं मिल रहा है। पता चला है कि एक ही सर्टिफिकेट पर दर्जनों नियोजित शिक्षक 23 सालों से काम करते आ रहे हैं। केके पाठक किसी को छोड़ने वाले नहीं हैं।बिहार के शिक्षक आक्रोशित
वहीं, दूसरी ओर शिक्षकों का अपना दर्द है। शिक्षकों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि जब से केके पाठक शिक्षा विभाग में आए हैं। हजारों महिला शिक्षक बीमारी की शिकार हो गई हैं। महिलाओं में ब्लड प्रेशर और हीमोग्लोबिन की कमी वाली बीमारी सामने आ रही है। बक्सर जिले के एक शिक्षक ने बताया कि महिलाएं अब डॉक्टर के यहां दौड़ लगाने लगी हैं। गत 9 महीने में केके पाठक ने सुधार से ज्यादा शिक्षकों को तनाव दिया है। इस तनाव की वजह से हेड मास्टर और शिक्षक बीमार हो रहे हैं। उन्हें स्थानांतरण का भय दिखाया जाता है। वेतन रोकने की बात कही जाती है। लेबर लॉ कहता है कि आप किसी का पूरा वेतन नहीं रोक सकते हैं। सस्पेंड होने के बाद भी जीवन यापन का पैसा मिलना चाहिए। केके पाठक पूरी तरह दादागिरी चलाते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए बाद में केके पाठक बहुत गलत साबित होंगे। पूरे बिहार के शिक्षकों में नाराजगी है। केके पाठक सुधार के कार्य कर रहे हैं। लेकिन नियोजित शिक्षक पिछले 23 सालों से कई तरह की परीक्षा देकर अपनी योग्यता साबित कर चुके हैं। उन्हें राज्य कर्मी के लिए दोबारा सक्षमता परीक्षा देने की कोई जरूरत नहीं थी। शिक्षकों का कहना है कि गलत लोगों पर कार्रवाई से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। उन्हें वो दंडित करें लेकिन सामान्य तौर पर स्कूल और शिक्षा के माहौल को सही रखा जाए। शिक्षक पैनिक माहौल में काम कर रहे हैं।कहीं नहीं जाएंगे पाठक
शिक्षा विभाग से जुड़े जानकार कहते हैं कि राज्य सरकार ने केके पाठक को दिल्ली प्रतिनियुक्ति पर भेजने की बात नहीं कही थी। ये केके पाठक की ओर से आवेदन आया था। जिस पर अभी तक मुहर नहीं लगी है। ग्रामीण इलाकों में केके पाठक के लिए सपोर्ट बढ़ रहा है। वे जहां जा रहे हैं। उनकी आरती उतारी जा रही है। अभी हाल में उन्होंने सिवान और गोपालगंज का दौरा किया। उन्होंने स्कूलों के अलावा प्रशिक्षण केंद्रों की व्यवस्था का जायजा लेते हुए कई तरह के निर्देश दिए। उन्होंने टोला सेवकों और तालिमी मरकज वालों की हौसला अफजाई की। वे एक अच्छे अधिकारी हैं। इसमें कोई दो राय नहीं। शिक्षा विभाग से जुड़े जानकारों का कहना है कि पहली बार बिहार में 34 पुरुष और महिलाओं की टीम पटना में बैठ रही है। पूरे बिहार के स्कूलों की शिकायत सुनती है। केके पाठक ने पटना में कमांड एंड कंट्रोल रूप बनाया है। ये केशव कुमार पाठक की ही सोच का नतीजा है। इस कंट्रोल सेंटर में टीचर के नहीं होने, मिड डे मील के देर से आने और स्टूडेंट्स की समस्या फोन पर पूरे बिहार से आती है। उसका त्वरित समाधान होता है। ऐसी व्यवस्था किसी राज्य में नहीं है। इस तरह के अधिकारी को राज्य सरकार भला कैसे जाने देगी। शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारी केके पाठक को विभाग का टीएन शेषन बताते नहीं थकते। वे कहते हैं कि उनका कड़क मिजाज और तेवर पूर्व चुनाव आयुक्त टीएन शेषन की याद दिलाता है। पाठक बिहार के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता, उपस्थिति से लेकर पढ़ाई की स्थिति को बेहतर करना चाहते हैं।केके पाठक के तेवर
राज्य सरकार के कैबिनेट समन्वय विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वरिष्ठ आईएएस अधिकारी केके पाठक, जो वर्तमान में बिहार में अतिरिक्त मुख्य सचिव (शिक्षा) हैं, ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन किया था। अधिकारी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए कहा कि उनका आवेदन विचाराधीन कैटेगरी में रख लिया गया है। उन्होंने कहा कि उन्हें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए राहत मिलने की संभावना है और नहीं भी है। आप देखते रहिए केके पाठक तब तक कहीं नहीं जाएंगे। जब तक वे मुख्यमंत्री के शिक्षा विभाग में चलाए जा रहे खास ऑपरेशन को कंपलीट नहीं कर लेते। नवंबर 2021 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से वापस आकर, पाठक को निषेध, उत्पाद शुल्क और पंजीकरण विभाग में तैनात किया गया था। जून 2023 में उन्हें शिक्षा विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया। हाल में उनका राजभवन से टकराव चल रहा है। कुछ दिन पूर्व उनकी शिकायत करने नेताओं का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर से मिला था। उसके बाद भी उनके तेवर में कोई कमी नहीं आई। पूर्व में केके पाठक की बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के अध्यक्ष के साथ भी नोकझोंक हुई। बीपीएससी शिक्षकों की बहाली और बायोमेट्रिक की जानकारी को लेकर केके पाठक ने पत्र जारी कर सवाल उठाए। लेकिन मुख्यमंत्री की ओर से कुछ भी ऐसा नहीं किया गया, जिससे ये लगे के केके पाठक को वो नापसंद करते हैं।from https://ift.tt/rPqbw1X
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