हैदराबाद: चीन समर्थित ऑनलाइन निवेश धोखाधड़ी का मास्टरमाइंड प्रकाश मूलचंदभाई प्रजापति 2021 से हैदराबाद साइबर अपराध पुलिस के रडार पर है। 2021 में नोटिस और 2022 में गिरफ्तारी के बावजूद, प्रजापति ने धोखाधड़ी का धंधा नहीं छोड़ा। अकेले 2023 में उसके खिलाफ 600 एफआईआर दर्ज की गई। प्रजापति को निवेश धोखाधड़ी में उसकी भूमिका के लिए 2021 में नोटिस दिया गया था, लेकिन उसने दावा किया था कि वह अस्वस्थ है और खुद को अहमदाबाद के एक अस्पताल में भर्ती करा लिया था। जिसके चलते ने उसे नोटिस दिया था और उसकी हिरासत लिए बिना वापस लौट आई थी। क्योंकि उस समय कोविड-19 अपने चरम पर था। हाल ही में शिकायतों में बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप शनिवार को सिर्फ एक दिन में प्रजापति के खिलाफ 12 एफआईआर दर्ज की गईं, जो उसके कार्यों के पैमाने को दर्शाता है। हैदराबाद के सहायक पुलिस आयुक्त (साइबर अपराध) केवीएम प्रसाद ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान यह पता चला कि प्रजापति ने हैदराबाद के तीन निवासियों के आधार कार्ड का दुरुपयोग किया। उनका पता लखनऊ के एक घर में बदल दिया और इसका उपयोग 45 बैंक खाते खोलने के लिए किया। केवीएम प्रसाद ने खुलासा किया कि शुरुआती दौर में प्रजापति ने भारत में सक्रिय स्थानीय सिम कार्ड का इस्तेमाल किया, जिससे वह विदेश से खासकर दुबई में रोमिंग पर काम कर सका। बाद में उसने मोबाइल फोन-शेयरिंग ऐप बंद कर दिए, जिससे पैसे ट्रांसफर करते समय ओटीपी देखने की कोई कीमत नहीं होती।चीनी आकाओं की मदद से कमाए पैसेअपने चीनी आकाओं की सहायता से प्रजापति अपनी धोखाधड़ी गतिविधियों पर प्रतिशत कमीशन की बदौलत 10-15 लाख रुपये के बीच दैनिक आय अर्जित करने में कामयाब रहा। कथित तौर पर गलत तरीके से कमाया गया पैसा प्रजापति के चीनी सहयोगियों द्वारा नियंत्रित एक क्रिप्टोकरेंसी खाते में ट्रांसफर किया गया था। प्रजापति दुबई और चीन की बार-बार यात्रा करता था, जो उसके आकाओं के साथ आमने-सामने की बैठकों और धोखाधड़ी के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को उजागर करने का संकेत देता है।पैसे कमाने का देते हैं लालचजांच से पता चला कि धोखाधड़ी से जुड़े अंतरराष्ट्रीय पैसे ट्रांसफर करने की सीमा चीन, सिंगापुर, मलेशिया, वियतनाम और फिलीपींस तक पाई गई। धोखेबाजों द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली ने व्हाट्सएप के माध्यम से व्यक्तियों को निशाना बनाया। उन्हें ऑनलाइन नौकरियों जैसे कि यूट्यूब वीडियो पसंद करने या गूगल रेटिंग प्रदान करने का लालच दिया। पीड़ितों को यह विश्वास दिलाकर धोखा दिया गया कि वे इन कार्यों से वेतन कमा रहे हैं।ऐसे फंसाते थे जाल मेंपुलिस ने बताया कि शुरुआती चरणों में धोखेबाज सॉफ्टवेयर इंजीनियरों की सहायता से लोगों के भोलेपन का परीक्षण करते हैं, जो अक्सर ऐसी योजनाओं का शिकार बन जाते हैं। एक बार जाल में फंसने के बाद, पीड़ितों को टेलीग्राम लिंक के माध्यम से पैसे इकट्ठा करने के लिए कहा जाता था, जिससे उन्हें विशिष्ट डोमेन पर पंजीकरण करना पड़ता था और उत्पादों को ऑनलाइन खरीदने और बेचने में निवेश करने के लिए एक डैशबोर्ड प्रदान किया जाता था। धोखाधड़ी वाली योजना के तहत पीड़ितों ने हजारों से लेकर लाखों रुपये तक की राशि का निवेश कर डाला और वो धोखाधड़ी का शिकार हो गए।
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