नई दिल्ली : एक प्लेन यात्री का सामान ट्रेवलिंग में खो गया इस एवज में एयर इंडिया को निर्देश दिया गया है कि वह यात्री को मुआवजे के तौर पर 2 लाख रुपये का भुगतान करे। नैशनल कंज्यूमर फोरम ने एयर इंडिया को यह आदेश दिया था कि वह यात्री को समान खोने के एवज में दो लाख 3 हजार रुपये का भुगतान करे। एयर इंडिया ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दखल देने से इनकार करते हुए एयर इंडिया की अर्जी खारिज कर दी। इस मामले में कानूनी लड़ाई निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक चली। इस मामले में जिला उपभोक्ता अदालत ने निर्देश दिया था कि एयर इंडिया यात्री के सामान खोने के एवज में 2.03 लाख रुपये का भुगतान मुआवजे के तौर पर करे। राज्य उपभोक्ता अदालत और नैशनल कंज्यूमर फोरम ने इस आदेश को बरकरार रखा था। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने उपभोक्ता अदालत के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया है। एयर इंडिया ने इस मामले में नैशनल कंज्यूमर फोरम के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हीमा कोहली की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि इस केस में जो परिस्थितियां हैं, उससे हम नैशनल कंज्यूमर फोरम के आदेश में दखल देने के इच्छुक नहीं हैं और एयर इंडिया की अर्जी खारिज कर दी। मामले में शिकायत करने वाले की ओर से जिला उपभोक्ता अदालत में अर्जी दाखिल कर कहा गया था कि वह नागपुर से गोवा गए थे। वह अपने परिवार वालों के साथ एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए गए थे। जब वह एयर इंडिया की फ्लाइट में चढ़े और बोर्डिंग पास आदि जारी किया गया तब उन्होंने प्लेन के स्टाफ के सामने 16 बैग जमा कराए लेकिन उतरते समय उन्हें 15 बैग ही मिले। एयर इंडिया उनके मीसिंग बैग को तलाश नहीं कर पाई। एयर इंडिया ने इस एवज में सिर्फ 3600 रुपये भुगतान करने का ऑफर किया जिसके खिलाफ शिकायतकर्ता ने कंज्यूमर फोरम का दरवाजा खटखटाया और एयर इंडिया पर सेवा में लापरवाही का आरोप लगाया। कंज्यूमर फोरम ने इस मामले में बैग खोने के एवज में एयर इंडिया को निर्देश दिया कि वह कुल 2.03 लाख रुपये मुआवजा का भुगतान शिकायतकर्ता को करे।
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