Monday, July 10, 2023

सपरटक गरप क चयरमन क नह मल रहत 24 जलई तक जल म रहग आर क अरड

नई दिल्ली : सुपरटेक ग्रुप (Supertech Group) के चेयरमैन और प्रमोटर आर के अरोड़ा (RK Arora) को राहत नहीं मिली है। दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरोड़ा को 24 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अरोड़ा को 12 दिन की हिरासत की अवधि समाप्त होने पर अदालत में पेश किया था। जिसके बाद विशेष न्यायाधीश देवेंदर कुमार जांगला ने अरोड़ा को जेल भेज दिया। एजेंसी ने न्यायाधीश से कहा कि उसे अरोड़ा की और हिरासत की आवश्यकता नहीं है। अरोड़ा को तीन दौर की पूछताछ के बाद 27 जून को धनशोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA) की आपराधिक धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था।

3 राज्यों में दर्ज है एफआईआर

ईडी के विशेष लोक अभियोजक एन. के. मट्टा और अधिवक्ता मोहम्मद फैजान खान ने अदालत को बताया कि सुपरटेक समूह, उसके निदेशकों और प्रवर्तकों के खिलाफ धनशोधन मामला पुलिस द्वारा दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में दर्ज एफआईआर पर आधारित है।

164 करोड़ की धोखाधड़ी का मामला

ईडी दिल्ली की आर्थिक अपराध शाखा (EOW), हरियाणा और उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा सुपरटेक लिमिटेड और समूह की कंपनियों के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और जालसाजी के लिए दर्ज 26 FIRs से संबंधित मामले की जांच कर रहा है। उन पर कम से कम 670 घर खरीदारों से 164 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया गया है।

समय पर नहीं दिया फ्लैट का कब्जा

ईडी के अनुसार, कंपनी और उसके निदेशकों ने अपनी रियल एस्टेट परियोजनाओं में बुक किए गए फ्लैट के बदले संभावित घर खरीदारों से अग्रिम धनराशि एकत्र करके लोगों को धोखा देने की "आपराधिक साजिश" रची। एजेंसी ने कहा कि कंपनी ने समय पर फ्लैट का कब्ज़ा प्रदान करने के सहमत दायित्व का पालन नहीं किया और आम जनता को "धोखा" दिया। ईडी ने दावा किया कि उसकी जांच से पता चला है कि सुपरटेक लिमिटेड और ग्रुप की अन्य कंपनियों ने घर खरीदारों से धन एकत्र किया था।

बैंकों से लिए लोन का किया मिसयूज

ईडी ने कहा कि कंपनी ने आवास परियोजनाओं के निर्माण के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थानों से परियोजना-विशिष्ट सावधि ऋण भी लिया। उसने कहा कि हालांकि, इस धनराशि का "दुरुपयोग किया गया और उसका उपयोग अन्य समूह की कंपनियों के नाम पर जमीन खरीदने के लिए किया गया। ईडी ने कहा कि उक्त जमीन का इस्तेमाल बैंक और वित्तीय संस्थानों से धन उधार लेने के लिए किया गया।''

1,500 करोड़ के लोन बने एनपीए

एजेंसी ने कहा कि सुपरटेक समूह ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों को भुगतान में भी चूक की है और वर्तमान में ऐसे लगभग 1,500 करोड़ रुपये के ऋण गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) बन गए हैं। सुपरटेक लिमिटेड की स्थापना 1988 में हुई थी। कंपनी वर्तमान में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में लगभग 25 परियोजनाएं विकसित कर रही है। इसे अभी 20,000 से ज्यादा ग्राहकों को कब्जा देना है।


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