Monday, July 24, 2023

सियासी संकट में बने संकटमोचक फिर पायलट गुट में हो गए शामिल, राजस्थान पॉलिटिक्स का वोल्टेज बढ़ाने वाले राजेंद्र गुढ़ा के बारे में जानें सबकुछ

जयपुर। अशोक गहलोत सरकार (Ashok Gehlot Gover) को समर्थन देने वाले राजेन्द्र गुढ़ा को दो दिन पहले मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया था। अब सोमवार 24 जुलाई को गुढ़ा को कांग्रेस से भी निष्कासित कर दिया। सोमवार को लाल डायरी को लेकर सदन में हंगामा हुआ था। इस दौरान मंत्री शांति धारीवाल और गुढा के बीच झड़प हुई। मारपीट की नौबत भी आ गई, जिसके बाद गुढ़ा को बाहर विधानसभा से बाहर निकाल दिया गया। इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस ने गुढा को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इससे पहले शुक्रवार 21 जुलाई को राजेन्द्र गुढ़ा ने मणिपुर में हो रहे महिला अत्याचारों की बात करते हुए राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर सवाल उठाए थे। तब गुढ़ा को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया था। गुढ़ा ने कहा था कि हमें मणिपुर के बजाय अपने गिरेबान में झांकना चाहिए, क्योंकि हम भी महिलाओं की सुरक्षा करने में विफल रहे हैं।सितंबर 2019 में कांग्रेस को समर्थन दिया था बसपा से आए विधायकों नेवर्ष 2018 के विधानसभा चुनावों में बसपा के टिकट पर राजेन्द्र गुढा सहित 6 प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी। 6 सदस्यीय दल के नेता राजेन्द्र गुढा थे। सितंबर 2019 में राजेन्द्र गुढ़ा सहित बसपा के सभी छह विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन दिया था। उन्हीं दिनों बसपा का कांग्रेस में विलय होने की घोषणा भी कर दी थी। विधानसभा अध्यक्ष की मंजूरी के बाद गुढ़ा सहित सभी छह विधायक कांग्रेस के विधायक कह जाने लगे। हालांकि बसपा के प्रदेशाध्यक्ष याचिका पर यह मामला पहले राजस्थान हाईकोर्ट में चला। हाईकोर्ट का फैसला बसपा प्रदेशाध्यक्ष के पक्ष में फैसला नहीं आने पर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई। फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है। सियासी संकट के दौरान गहलोत के साथ डटकर खड़े थे गुढ़ागहलोत सरकार को समर्थन देने के 9 महीने बाद सचिन पायलट औ उनके समर्थित विधायकों ने बगावती तेवर अपना लिए थे। जुलाई 2020 में गहलोत सरकार संकट में आ गई थी। उन दिनों राजेन्द्र गुढा सहित बसपा से आए सभी छह विधायक गहलोत के पक्ष में डटकर खड़े थे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कई सार्वजनिक अवसरों पर यह बात कह चुके हैं कि अगर राजेन्द्र गुढ़ा और उनके साथियों ने साथ नहीं दिया होता तो सरकार नहीं बचती। कांग्रेस को समर्थन देने के बाद करीब 2 साल बाद गहलोत ने गुढ़ा को अपने मंत्रिमंडल में भी शामिल किया।गहलोत के पक्ष में आने के बाद नाराज हुए गुढानवम्बर 2021 में मंत्री बनने के बावजूद राजेन्द्र गुढ़ा सरकार के मुखिया अशोक गहलोत से नाराज थे। राजनीति के जानकारों का कहना है कि मंत्री होने के बावजूद गुढ़ा की ना तो अपने विभाग में चलती थी और ना ही अन्य विभागों में। ब्यूरोक्रेसी के अफसर गुढा की बात तवज्जो नहीं देते थे। मार्च 2021 में राजेन्द्र गुढा ने जयपुर के जलभवन में धरना दिया था। दिसंबर 2022 में जोधपुर जिले के भूंगड़ा गांव में शादी समारोह के दौरान गैस सिलेंडर में ब्लास्ट होने की घटना में 35 लोगों की मौत हो गई थी। उन दिनों गुढा ने गैस कंपनी के दफ्तर में धरना दे दिया और अफसरों को बंधक बना लिया था। इसी साल फरवरी में राजेंद्र गुढा के खिलाफ नीम का थाना में अपहरण, मारपीट और जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज हुआ था। उन दिनों गुढा ने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा था कि यह कैसी सरकार है। यहां बिना जांच के ही सरकार के मंत्रियों के खिलाफ मुकदमें दर्ज हो रहे हैं। सालभर पहले पायलट खेमे में आ गए गुढ़ाकरीब सालभर पहले राजेन्द्र गुढा गहलोत खेमे को छोड़कर सचिन पायलट खेमे में आ गए। गुढ़ा ने सचिन पायलट के समर्थन में बयान देना शुरू कर दिया और गहलोत के विरोध में बयानबाजी शुरू कर दी। गुढा सचिन पायलट को देश का सर्वश्रेष्ठ नेता बता चुके हैं और गहलोत सरकार पर देश की सबसे भ्रष्ट सरकार होने का आरोप लगा रहे हैं। गुढ़ा यह भी कह चुके हैं कि गहलोत के नेतृत्व में दो बार चुनाव हुए और दोनों बार कांग्रेस की करारी हार हुई। सचिन पायलट की बदौलत ही कांग्रेस सत्ता में आई थी। बयानबाजी को लेकर कांग्रेस नेतृत्व गुढ़ा पर कार्रवाई के मूड में था। शुक्रवार को जब गुढा ने महिला सुरक्षा को लेकर सरकार पर सवाल उठाए तो उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया। अब कांग्रेस से भी निष्कासित कर दिया गया। (रिपोर्ट - रामस्वरूप लामरोड़, जयपुर)


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